11वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस-2022 का उद्घाटन
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 21 अगस्त 2022 को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि वि.वि., ग्वालियर द्वारा आयोजित 11वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस-2022 (National Seed Congress-2022) का उद्घाटन किया।
इस अवर उप उन्होंने कहा कि हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान से बहुत प्रगति की है, भारत आज अधिकांश खाद्य उत्पादों के मामले में पहले या दूसरे क्रम पर है। श्री तोमर ने कहा कि यहां तक पहुंचने में किसानों के परिश्रम, सरकार की किसान हितैषी नीतियों व वैज्ञानिकों के अनुसंधान का योगदान है और कृषि उत्पादों की दृष्टि से हम सारी दुनिया में सीना तानकर खड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि अब जलवायु स्थितियां बदल रही है, इस चुनौती के मद्देनजर काम करना होगा। अब दलहन-तिलहन में भी आत्मनिर्भरता होना चाहिए। इसके लिए सरकार मिशन मोड में काम कर रही है, लेकिन नीतियों व फंडिंग के साथ ही बीजों का आविष्कार ही ऐसा होना चाहिए जो उत्पादकता बढ़ाएं व देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएं। इसमें महती जवाबदारी कृषि वैज्ञानिकों की है, जिन्हें और काम करने की आवश्यकता है ।
इस अवसर पर वि.वि. के नवनिर्मित सभागार का नामकरण स्व. श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी के नाम पर किया गया है। साथ ही स्टेट अकादमी ऑफ़ एग्रीकल्चरल एंड अलाइड साइंसेस (SAAS) का शुभारंभ किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर NAAS व प्रादेशिक स्तर पर SAAS का प्रयास कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन विज्ञान व संबंधित अनुसंधान, शिक्षा, विस्तार के प्रोत्साहन- गतिविधियों को और गतिमान करेगा।
देश में बीज संरक्षण और विकास के लिए पहल
देश में 161 राज्य बीज परीक्षण प्रयोगशालाएं और छह केंद्रीय बीज परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। ये प्रयोगशालाएं विभिन्न गुणवत्ता मानकों के लिए देशी भारतीय फसल के बीजों और पेड़ों का विश्लेषण कर रही हैं।
विभिन्न फसलों और पेड़ों की देशी भारतीय किस्मों के बीजों के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने नीति बनाई है।
नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (NBPGR) ने विभिन्न राज्यों में स्थित जीन बैंकों में विभिन्न फसलों और पेड़ों की 94,609 देशी भारतीय किस्मों का संरक्षण किया है।
पौध किस्मों का संरक्षण और किसान अधिकार प्राधिकरण (Plant Varieties and Farmer’s Rights Authority: PPV & FRA) ने भी विभिन्न फसलों की 1896 देशी भारतीय किस्मों को पंजीकृत किया है जिससे किसान इन किस्मों का व्यावसायीकरण कर सकें।
PPV & FRA आर्थिक पौधों और उनके जंगली रिश्तेदारों के पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण, सुधार और संरक्षण में लगे समुदाय और व्यक्तियों को विशेष रूप से कृषि-जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में पहचाने जाने वाले क्षेत्रों में समुदाय और व्यक्तियों को पुरस्कृत करके प्रोत्साहित करता है जिन्होंने इस तरह की गतिविधियों में शानदार भूमिका निभाई है।
देशी बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और किसानों द्वारा उनके उपयोग में सुधार करने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल अनाज, मोटे अनाज, दलहन, तिलहन और फलों सहित विभिन्न फसलों की उच्च उपज और बहु तनाव सहिष्णु किस्मों का विकास कर रही है।
वृक्षों की देशी प्रजातियों को बढ़ाने के लिए, वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और विस्तार करने के लिए 2016-17 से कृषि वानिकी पर उप-मिशन नामक योजना चलायी जा रही है।
सभी फसलों के उच्च उपज वाले प्रमाणित/गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन और उन्हें किसानों को उपलब्ध कराने के लिए बीज और रोपण सामग्री (Sub-Mission on Seed and Planting Material : SMSP) पर उप-मिशन लागू किया जा रहा है।