एक्सो-मून्स (exomoons) का पता लगाने के लिए मॉडल
वैज्ञानिकों ने दिसंबर 2021 में अंतरिक्ष में लॉन्च किए गए जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope: JWST ) की मदद से एक्सोप्लैनेट्स (सूर्य के अलावा अन्य ग्रहों की परिक्रमा करने वाले ग्रह) के चारों ओर घूमने वाले एक्सोमूंस (exomoons) कहे जाने वाले प्राकृतिक उपग्रहों का पता लगाने के लिए एक मॉडल विकसित किया है। इससे भविष्य में रहने योग्य एक्सो-मून्स (exomoons) का पता लगाने और अपने सौर-मंडल से परे नई दुनिया को समझने में भी मदद मिल सकती है।
अब तक सूर्य के अलावा अन्य ग्रहों की परिक्रमा करने वाले पांच हजार एक्सोप्लैनेट्स—ग्रहों की खोज पृथ्वी की सतह (ग्राउंड) पर स्थापित एवं अंतरिक्ष दूरबीनों जैसे केपलर, सीओआरओटी, स्पिट्जर और हबल स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करके की गई है। हालांकि, इनमें से किसी भी ग्रह के आसपास के प्राकृतिक उपग्रह या एक्सोमून का अभी भी पता नहीं चल पाया है।
सौर मंडल विभिन्न आकारों और द्रव्यमानों के साथ बड़ी संख्या में प्राकृतिक उपग्रहों से बना है, तथा उनमें से कई उपग्रह सौर ग्रहों के परिवेश के वातावरण को प्रभावित करते हैं। इसलिए, बड़ी संख्या में एक्सोमून्स मौजूद होने की उम्मीद है, और वे अपने मेजबान तारों के रहने योग्य क्षेत्र में चट्टानी एक्सोप्लैनेट्स की आवास क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जबकि अधिकांश एक्सोप्लैनेट्स का पता फोटोमेट्रिक ट्रांजिट विधि के माध्यम से लगाया जाता है, एक्सो-मून्स से प्राप्त संकेत मुख्य रूप से उनके बेहद छोटे आकार के कारण पता लगाने के लिए बहुत कमजोर होते हैं।
भारतीय अंतरिक्ष भौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने प्रदर्शित किया है कि हाल ही में प्रक्षेपित किया गया जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) फोटोमेट्रिक प्रकाश वलयों (लाइट कर्व्स) ऐसे चंद्रमाओं को धारण करने वाले (मून्स होस्टिंग) एक्सोप्लैनेट्स में एक्सोमून्स के पारगमन संकेतों (ट्रांजिट सिग्नल्स) का पता लगाने के लिए पर्याप्त रूप से शक्तिशाली है।