PM 2.5 के मामले में दिल्ली है दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर

‘शहरों में वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य’ (Air Quality and Health in Cities) शीर्षक से 17 अगस्त, 2022 को जारी रिपोर्ट के अनुसार, पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 के मामले में विश्व में दिल्ली का प्रदूषण स्तर उच्चतम था जबकि कोलकाता दूसरे स्थान पर था।

यह रिपोर्ट अमेरिका स्थित शोध संगठन ‘हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI)’ द्वारा प्रकाशित की गई है और HEI के स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर इनिशिएटिव द्वारा जारी की गई है।

HEI के एक बयान के अनुसार, यह दुनिया भर के 7,000 से अधिक शहरों में वायु प्रदूषण और वैश्विक स्वास्थ्य प्रभावों का व्यापक और विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है।

विश्लेषण में दो सबसे हानिकारक प्रदूषकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये हैं; फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)। विश्लेषण में 2010 से 2019 तक के डेटा का इस्तेमाल किया गया।

PM 2.5 प्रदूषण

PM 2.5 के मामले में दिल्ली का ‘वार्षिक जोखिम स्तर’ 110 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (μg/m³) था जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बेंचमार्क के 22 गुना अधिक है । कोलकाता 84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित शहर है।

इस अध्ययन में पाया गया कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्थित शहरों में PM 2.5 प्रदूषण का खतरा अधिक था।

NO2 एक्सपोजर

NO2 का एक्सपोजर उच्च आय के साथ-साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों के शहरों में अधिक पाया गया। इसका कारण यह है कि NO2 मुख्य रूप से पुराने वाहनों, बिजली संयंत्रों, औद्योगिक सुविधाओं और आवासीय खाना पकाने और हीटिंग में ईंधन के जलने से उत्पन्न होता है।

NO2 एक्सपोज़र के मामले में, शंघाई औसत एक्सपोज़र के मामले में सबसे बदतर शहर है।

ख़ुशी की बात यह है कि NO2 एक्सपोज़र के मामले में, कोई भी भारतीय शहर शीर्ष 20 में नहीं था।

शंघाई का औसत NO2 एक्सपोज़र 41.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, इसके बाद रूस में मॉस्को (40.2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) का स्थान था।

NO2 एक्सपोज़र के लिए WHO का मानक 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में, रिपोर्ट में शामिल 7,000 से अधिक शहरों में से 86% में प्रदूषकों का जोखिम WHO के मानक से अधिक था, इसलिए लगभग 2.6 बिलियन लोग प्रभावित हुए।

सम्पूर्ण संख्या के लिहाज से, वर्ष 2019 में दिल्ली में 29,900 मौतों के लिए पीएम 2.5 को जिम्मेदार ठहराया गया है; जबकि कोलकाता में 21,380; और मुंबई में 16,020 मौतों के लिए पीएम 2.5 जिम्मेदार था। इसकी तुलना में, बीजिंग में 2019 में पीएम 2.5 एक्सपोजर के कारण 26,270 लोगों की मौतें हुईं।

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