चार्ल्स ड्रयू: पहली बार अमेरिकी पोत मरम्मत के लिए भारत पहुंचा
अमेरिकी नौसैनिक पोत ‘चार्ल्स ड्रयू’ (Charles Drew) मरम्मत एवं संबद्ध सेवाओं के लिए 7 अगस्त को चेन्नई के कट्टूपल्ली (Kattupalli) में कंपनी ‘लार्सन एंड टुब्रो’ (एलएंडटी) के शिपयार्ड में पहुंचा। यह पहली बार है जब अमेरिकी नौसेना का युद्धपोत किसी भारतीय बंदरगाह पर पहुंचा है।
अप्रैल 2022 में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मामलों के मंत्रियों के बीच 2 + 2 वार्ता में दोनों देशों के बीच समझौता होने के बाद पहली बार अमेरिकी नौसेना का एक युद्धपोत भारतीय बंदरगाह पर पहुंचा है। इस यात्रा का मकसद यात्रा के बीच युद्धपोत का मरम्मत करना बताया गया।
दोनों देशों के बीच ये समझौता हुआ है, कि दोनों देशों की नौसेना अपने अपने युद्धपोत को एक दूसरे के बंदरगाह पर मरम्मत करने, तेल भरने और कुछ और अलग काम करने के लिए डॉक हो सकते हैं।
भारत के रक्षा मंत्रालय ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ के लिए ‘‘उत्साहजनक’’ करार देते हुए कहा कि इस कदम ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी में एक नया आयाम जोड़ा है।
अमेरिका का यह पोत मरम्मत के लिए 11 दिन तक कट्टूपल्ली के शिपयार्ड में रहेगा। यह पोत अमेरिकी नौसेना को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जंगी बेड़े के संचालन में अहम सहयोग देता है।
एलएंडटी के अनुसारअमेरिकी नौसेना के मरीन सीललिफ्ट कमांड ने भारत में कुछ शिपयार्ड का मूल्यांकन किया था और कट्टुपल्ली यार्ड को मंजूरी दी थी, जो वैश्विक मानकों पर खरा उतरता है और इसक इन्फ्रास्ट्रक्चर को वैश्विक मान्यता मिली हुई है। उल्लेखनीय है कि भारत में छह प्रमुख शिपयार्ड हैं, जिनमें ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां हैं।
भारत और अमरीका BECA, LEMOA, COMCASA
भारत और अमरीका के बीच रक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं:
27 अक्टूबर 2020 को नई दिल्ली में ऐतिहासिक बुनियादी आदान-प्रदान और सहयोग समझौते-बीईसीए (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-spatial Cooperation :BECA) पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्रूज़ और बैलेस्टिक मिसाइलों को सही स्थान पर तैनात करने के लिए भारत को अमरीका के वैश्विक भू-स्थानिक मानचित्रों के उपयोग की अनुमति प्रदान करता है।
अमेरिका के साथ BECA समझौता का संबंध जियोस्पैटियल इंटेलिजेंस, तथा रक्षा के लिए मानचित्र एवं उपग्रह डेटा साझा करने से है। यह समझौता भारत को अमेरिका उन्नत जियोस्पैटियल इंटेलिजेंटस इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान करेगा। यह भारत को स्थलाकृतिक (टोपोग्राफिकल) एवं एयरोनॉटिकल डेटा एवं उत्पादों तक पहुंच सुनिश्चित कराएगा। यह भारतीय सैन्य प्रणालियों को नौवहन के लिए उच्च गुणवत्ता की जीपीएस से युक्त करेगा तथा मिसाइल को सटीक निशाना बनाने में वास्तविक समय इंटेलिजेंस उपलब्ध कराएगा।
2016 में एलईएमओए (LEMOA) और 2018 में सीओएमसीएएसए (COMCASA) पर भी हस्ताक्षर किये गए थे।
लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट (LEMOA), संचार अनुकूलता एवं सुरक्षा समझौता (COMCASA) तथा बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्पैटियल कोऑपरेशन (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-spatial Cooperation :BECA) को अमेरिका के साथ सैन्य समझौतों का आधार माना जाता है।