जैव ईंधन के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन यानी ‘समर्थ’/SAMARTH

विद्युत मंत्रालय ने ताप बिजली संयंत्रों में जैव ईंधन के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन यानी ‘समर्थ’/SAMARTH शुरू किया, जो ताप बिजली संयंत्रों में जैव ईंधन कचरे को जीवाश्‍म ईंधन के साथ जलाने यानी को-फायरिंग (co-firing of biomass waste) का प्रावधान करता है।

समर्थ मिशन NPTI की सहायता से किसानों, जैव ईंधन निर्माताओं और बिजली संयंत्र के अधिकारियों सहित इस क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों के लिए लगातार ऑफ़लाइन और ऑनलाइन प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

चूंकि बिजली संयंत्र कोयले की कमी के परिदृश्य का सामना कर रहे हैं, जैव ईंधन का महत्व काफी बढ़ गया है। आयातित कोयले की तेजी से बढ़ती कीमतों की तुलना में, जैव ईंधन पैलेट बहुत कम कीमतों पर उपलब्ध हैं। अत: जैव ईंधन और जीवाश्‍म ईंधन को एक समय में जलाना बिजली उत्‍पादन और वितरण के लिए आयातित कोयले के सम्मिश्रण की तुलना में पर्यावरण के अनुकूल और किफायती विकल्प है।

इससे जैव ईंधन पेलेट निर्माण क्षेत्र को और गति मिलने की उम्मीद है। पराली जलाने की चुनौतियों को हरित बिजली उत्‍पादन के समाधान में बदलने और आय सृजन के सरकार के प्रयासों का असर देखने को मिल रहा है।

भारत में जैव ईंधन की वर्तमान उपलब्धता लगभग 750 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष अनुमानित है। उपलब्ध जैव ईंधन मात्रा का लगभग 30 प्रतिशत सरप्लस है और अनुमान है कि इसका कम से कम आधा हिस्सा हर साल खेत में आग की भेंट चढ़ाने के लिए भेजा जाता है।

24 जुलाई 2022 तक 55335 मेगावाट की संचयी क्षमता वाले देश के 35 ताप विद्युत संयंत्रों में लगभग 80525 मीट्रिक टन जैव ईंधन और जीवाश्‍म ईंधन को एक समय में जलाया गया। एक समय में जैव ईंधन और जीवाश्‍म ईंधन को जलाने वाले संयंत्रों की संख्या लगभग एक वर्ष की अवधि में चौगुनी हो गई है।

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