कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में चीता लाने के लिए भारत-नामीबिया के बीच करार

भारत के पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 20 जुलाई को नामीबिया सरकार के साथ एक करार किया है जिसके मुताबिक, नामीबिया भारत को चीते (African cheetahs) देगा। वर्ष 1952 में भारत से चीता की विलुप्ति के बाद पृथ्वी पर मौजूद इस सवार्धिक तेज धावक बिल्ली को फिर से बसाया जा रहा है।

नामीबिया से चीतों की पहली खेप 15 अगस्त के आसपास आएगी। पहली खेप में कुल आठ चीते आ सकते हैं जिनमें चार नर व चार मादा होंगी। इन चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो-पालपुर नेशनल पार्क (Kuno-Palpur National Park ) में विशेष बाड़ों में रखा जाएगा।

अधिक शिकार, मवेशियों के लिए कम होते चारागाह और पर्यावास के नुकसान के चलते भारत से चीते विलुप्त हो गए थे।

कूनो नेशनल पार्क

भारत का कूनो नेशनल पार्क उनके प्राकृतिक हैबिटैट के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल है। चीतों के आहार के लिए इस पार्क के पास पर्याप्त शिकार है। यहां मानव बस्ती भी नहीं है, श्योपुर-शिवपुरी पर्णपाती खुले वन परिदृश्य का एक हिस्सा है और 21 चीतों को बनाए रखने की क्षमता होने का अनुमान है।

चीतों को बसाने के पीछे मकसद सिर्फ एक लुप्त प्रजाति को लाना भर नहीं है, बल्कि इसके जरिए सरकार की कोशिश जैव विविधता के लिहाज से पर्यावरणीय संतुलन को विकसित करना भी है। इसके जरिए उन पशुओं का संरक्षण करके उनकी संख्या भी बढ़ाई जाएगी, जिनका शिकार चीता करता है। मतलब यह कि ऐसे चीते के इलाके में रहने वाली लुप्तप्राय प्रजातियों को भी बचाया जा सकेगा।

सरकार की योजना है कि पहले इन चीतों को बाड़े में रखकर प्रजनन कराया जाएगा, फिर उनकी संख्या बढ़ने पर उन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा, ताकि वे प्राकृतिक तरीके से रह सकें। उल्लेखनीय है कि कूनो की क्षमता फिलहाल 21 चीते रखने की है, जिसे आने वाले समय में बढ़ाकर 36 तक किया जाएगा।

1952 में विलुप्त घोषित

भारत के पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने के बावजूद, चीता को 1952 में हैबिटैट नुकसान और अवैध शिकार के कारण देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। चीते 70mph (113km/h) तक की गति तक दौड़ सकते हैं, जिससे वे दुनिया के सबसे तेज़ ज़मीन वाले जानवर बन जाते हैं।
चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी है जो भारत से पूरी तरह से विलुप्त हो गया है। भारत में आखिरी चीता की मृत्यु 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल जंगलों में हुई थी।

अफ्रीकी चीता/एशियाई चीता

दुनिया भर में केवल लगभग 7,000 चीते प्राकृतिक माहौल में मौजूद हैं। अफ्रीकी चीता को प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) के तहत खतरे वाली प्रजातियों की लाल सूची के तहत एक वल्नरेबल प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नामीबिया में चीतों की दुनिया की सबसे बड़ी संख्या मौजूद है।

एशियाई चीता, जो कभी अरब प्रायद्वीप से अफगानिस्तान तक के विस्तृत क्षेत्रों में पाया जाता था, एक क्रिटिकली एनडेंजर्ड प्रजाति है और अब केवल ईरान में मौजूद है। ऐसा अनुमान है कि केवल 12 एशियाई चीता ही जीवित हैं।

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