वर्ष 2021 में 163,000 से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी-गृह मंत्रालय
संसद में 19 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 163,000 से अधिक भारतीयों ने 2021 में अपनी नागरिकता छोड़ दी, जो 2015 के बाद से सबसे अधिक है, जिनमें से लगभग आधे ने अमेरिकी नागरिक बनने का विकल्प चुना। वर्ष 2021 में, 163,370 भारतीयों ने अपने भारतीय पासपोर्ट छोड़ दिए। वर्ष 2019 और 2020 में यह संख्या क्रमश: 144,017 और 85,256 थी। डेटा केवल 2015 से उपलब्ध है।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इससे पहले 2016 में सबसे ज्यादा 144,942 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी थी।
गृह मंत्रालय ने कहा कि इन भारतीयों द्वारा अपने देश की नागरिकता त्यागने का कारण “व्यक्तिगत” थे अर्थात उन्होंने स्वेच्छा से नागरिकता त्याग दी।
भारतीय संविधान और नागरिकता कानून दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देते हैं। बहुजन समाज पार्टी के सांसद हाजी फजलुर रहमान के एक सवाल का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा साझा किए गए डेटा से पता चला है कि अमेरिका (78,284) के बाद, भारतीयों ने ऑस्ट्रेलिया (23,533), कनाडा (21,597) की नागरिकता हासिल करना पसंद किया।
तीन तरीकों से नागरिकता ख़त्म हो सकती है:
नागरिकता अधिनियम, 1955 (The Citizenship Act, 1955) उन तीन तरीकों को भी निर्धारित करता है जिनके द्वारा एक भारतीय नागरिक, चाहे वह संविधान के प्रारंभ में या उसके बाद का नागरिक हो, अपनी नागरिकता खो सकता है। यह तीन तरीकों में से किसी एक के द्वारा नागरिकता ख़त्म हो सकती है: स्वेच्छा से त्याग (renunciation), समाप्ति (termination) और छीना जाना (deprivation)।
नागरिकता का स्वेच्छा से त्याग (Renunciation Of Citizenship) [धारा 8]:
- पूर्ण आयु और क्षमता का एक भारतीय नागरिक इस आशय की घोषणा करके और इसे पंजीकृत करवाकर अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग कर सकता है।
- लेकिन अगर ऐसी घोषणा किसी युद्ध के दौरान की जाती है जिसमें भारत शामिल है, तब तक पंजीकरण रोक दिया जाएगा जब तक कि केंद्र सरकार अन्यथा निर्देश न दे।
- जब कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता छोड़ देता है, तो उस व्यक्ति का प्रत्येक नाबालिग बच्चा भी भारतीय नागरिकता खो देता है। हालाँकि जब ऐसा बच्चा 18 वर्ष की आयु प्राप्त करता है, तो वह भारतीय नागरिकता फिर से प्राप्त कर सकता है।
नागरिकता की समाप्ति (Termination Of Citizenship) [धारा 9]:
- यदि भारत का कोई नागरिक स्वेच्छा से दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करता है, तो वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा।
- युद्ध की अवधि के दौरान, किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करने वाले भारतीय पर यह प्रावधान लागू नहीं होता है, यदि भारत स्वेच्छा से युद्ध में शामिल होता है।
सरकार द्वारा नागरिकता छीना जाना/वंचित करना (Deprivation Of Citizenship) [धारा-10]
भारत के एक नागरिक को देशीयकरण, पंजीकरण, अधिवास और निवास द्वारा, केंद्र सरकार के एक आदेश द्वारा उसकी नागरिकता से वंचित किया जा सकता है यदि वह संतुष्ट है कि:
- नागरिकों ने संविधान का अपमान किया है।
- यदि व्यक्ति ने धोखाधड़ी, झूठे प्रतिनिधित्व या किसी भी सामग्री को छिपाने के माध्यम से नागरिकता प्राप्त की है।
- नागरिक ने युद्ध के दौरान दुश्मन के साथ गैर-कानूनी रूप से व्यापार या संचार किया है।
- पंजीकरण या देशीयकरण के 5 साल के भीतर किसी भी देश में एक नागरिक को 2 साल के कारावास की सज़ा सुनाई गई हो।
- नागरिक 7 वर्षों से लगातार भारत से बाहर रह रहा हो।
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