हिमाचल और नागालैंड में फैमिली कोर्ट को वैधता प्रदान करने के लिए फैमिली कोर्ट (संशोधन) विधेयक

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने 18 जुलाई को हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में संचालित परिवार न्यायालयों को कानूनी आधार प्रदान करने के लिए फैमिली कोर्ट (संशोधन) विधेयक पेश किया। यह विधेयक इन दोनों राज्यों में संचालित परिवार अदालतों को पूर्वव्यापी रूप (retrospectively) से वैधानिक दर्जा प्रदान करेगा।

राज्य सरकारों द्वारा जारी अधिसूचनाओं के माध्यम से 2008 में नागालैंड में दो और हिमाचल प्रदेश में तीन अदालतें स्थापित की गईं थीं। प्रक्रिया के अनुसार, परिवार न्यायालयों की स्थापना और उनके कामकाज का निर्धारण संबंधित राज्य सरकारों द्वारा उच्च न्यायालयों के परामर्श से किया जाता है। हालांकि इसके केंद्र सरकार को अनिवार्य रूप से अधिसूचना जारी करनी होती है।

हिमाचल प्रदेश और नागालैंड राज्यों ने अपने आप अदालतों की स्थापना कर ली थीं और स्थापना के बाद से ही बिना किसी कानूनी अधिकार के ये काम कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की अनिवार्य अधिसूचना के अभाव में नागालैंड और हिमाचल प्रदेश में स्थापित पारिवारिक न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़े किये गए हैं

हिमाचल प्रदेश में पारिवारिक अदालतों की वैधता को केंद्र सरकार की अधिसूचना के अभाव का हवाला देते हुए पिछले साल राज्य उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। अब केंद्र ने इन दोनों राज्यों में पारिवारिक अदालतों को पूर्वव्यापी प्रभाव से कानूनी आधार देने के लिए एक विधेयक पेश किया है।

परिवार न्यायालय के बारे में

परिवार न्यायालयों की स्थापना और उनके कामकाज राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य सरकार इस मामले में संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से काम करते हैं।

परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 विवाह और पारिवारिक मामलों से संबंधित विवादों के सुलह को बढ़ावा देने और त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालयों के परामर्श से राज्य सरकारों द्वारा परिवार न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान करता है।

अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकार के लिए यह अनिवार्य है कि वह प्रत्येक शहर या कस्बे के लिए एक परिवार न्यायालय स्थापित करे, जिसकी जनसंख्या दस लाख से अधिक है।

राज्यों के अन्य क्षेत्रों में, यदि राज्य सरकारें आवश्यक समझें तो परिवार न्यायालय स्थापित किए जा सकते हैं।

1984 के कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए केंद्र सरकार की अधिसूचना आवश्यक है, जिस राज्य में ऐसी अदालतें स्थापित की जानी हैं।

परिवार न्यायालयों की स्थापना की सुविधा के लिए, केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश के 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 715 फैमिली कोर्ट काम कर रहे हैं।

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