भारत का रक्षा निर्यात ₹13,000 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
वर्ष 2021-22 के लिए भारत का रक्षा निर्यात ₹13,000 करोड़ अनुमानित था, जो अब तक का सबसे अधिक है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 54.1 फीसदी ज्यादा है। यह रक्षा निर्यात का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
निजी क्षेत्र का निर्यात में 70% हिस्सा था, जबकि शेष 30 प्रतिशत हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का था। पहले निजी क्षेत्र का 90% हिस्सा हुआ करता था लेकिन अब रक्षा सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र की इकाइयों का हिस्सा बढ़ गया है।
रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत होने की पीछे मुख्य कारण लगभग 2,500 करोड़ रुपये का वह सौदा है जो भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए फिलीपींस के साथ किया था।
जनवरी 2022 में, भारत ने फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के तट-आधारित एंटी-शिप संस्करण की तीन बैटरियों की आपूर्ति के लिए $ 374.96 मिलियन के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे।
अमेरिका एक प्रमुख खरीदार था, साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के राष्ट्र भी थे।
देश का अधिकांश रक्षा निर्यात एयरोस्पेस क्षेत्र में है, जहां भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के लिए फ्यूजलेज (fuselage) सहित कई भागों का निर्माण कर रही हैं।
हाल के वर्षों में अमेरिका से भारत का रक्षा आयात काफी बढ़ गया है, भारतीय कंपनियां तेजी से अमेरिकी रक्षा कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन रही हैं।
दुनिया भर में बेचे जाने वाले अमेरिकी अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे के सभी फ्यूजलेज अब भारत में बोइंग और टाटा के बीच एक संयुक्त उद्यम द्वारा बनाए गए हैं।
इसी तरह, अदानी डिफेंस और लोहिया ग्रुप जैसी कंपनियां कई इजरायली ड्रोन के लिए फ्यूजलेज बना रही हैं। फ्यूजलेज विमान का केंद्रीय हिस्सा होता है जहां यात्री और चालक दल के सदस्य बैठते हैं।
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