100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा 100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस (100th International Day of Cooperatives) के उपलक्ष्य में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोहों में मुख्य अतिथि होंगे।
100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस 2 जुलाई को मनाया गया।
100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस की थीम “सहकारिता से एक बेहतर विश्व का निर्माण” (Cooperatives Build a Better World) थी।
भारत में सहकारिता आंदोलन
भारत में सहकारिता आंदोलन दुनिया में सबसे बड़ा है। वर्तमान में, भारत में 90 प्रतिशत गांवों को कवर करने वाली 8.5 लाख से ज्यादा सहकारी समितियों के नेटवर्क के साथ ये ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समावेशी विकास के उद्देश्य से सामाजिक-आर्थिक विकास लाने के लिए महत्वपूर्ण संस्थान हैं।
अमूल, इफ्को, कृभको, नाफेड आदि भारत में सहकारिता आंदोलन की कुछ जानी मानी सफलता की कहानियां हैं।
सहकारिता क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के क्रम में, केंद्र सरकार ने जुलाई, 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की थी।
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह को नव गठित सहकारिता मंत्रालय का प्रभार दिया गया था।
हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (Primary Agricultural Credit Societies: PACS) के कंप्यूटरीकरण को स्वीकृति देकर सहकारिता क्षेत्र को मजबूत बनाने का अहम फैसला लिया है।
इसका उद्देश्य PAC की दक्षता बढ़ाना, पारदर्शिता लाना और उनके संचालन में विश्वसनीयता लाना; PACS के कामकाज में विविधता लाने और कई गतिविधियों/सेवाओं के संचालन में सहायता देना है।
विश्व में सहकारिता आंदोलन
एक सहकारी का सबसे पहला रिकॉर्ड 14 मार्च 1761 को स्कॉटलैंड में दर्ज किया गया ।
1844 में इंग्लैंड के उत्तर में कपास मिलों में काम करने वाले 28 कारीगरों के एक समूह ने पहला आधुनिक सहकारी व्यवसाय स्थापित किया था।
आज 12% से अधिक मानवता दुनिया की 30 लाख सहकारी समितियों में से किसी एक का हिस्सा है।
सहकारी समितियों ने दुनिया भर में 2 जुलाई को 100वां अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस मनाया।
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस 2012 को पूरा एक दशक हो गया है, जिससे मानव केंद्रित व्यावसायिक मॉडल का पालन करते हुए वैश्विक सहकारिता के विशेष योगदान का पता चलता है, जो सहकारिता के सिद्धांतों और मूल्यों से प्रेरित है।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस का उद्देश्य सहकारिता समितियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता, आर्थिक दक्षता, समानता और विश्व शांति जैसे आंदोलन के आदर्शों को प्रोत्साहन देना है।
सहकारी समितियां 10 प्रतिशत कार्यरत जनसंख्या को रोजगार देती हैं और 300 बड़ी सहकारी समितियों का कुल 2,146 अरब डॉलर का टर्नओवर है।
सहकारी सिद्धांत (Cooperative Principles)
सहकारी सिद्धांत हैं; स्वैच्छिक और खुली सदस्यता; लोकतांत्रिक सदस्य नियंत्रण; सदस्य आर्थिक भागीदारी; स्वायत्तता और स्वतंत्रता; शिक्षा, प्रशिक्षण और सूचना; सहकारी समितियों के बीच सहयोग; समुदाय के लिए चिंता।