अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के अधिकार वाले रो बनाम वेड फैसले को पलटा
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के अधिकार को कानूनी तौर पर मंजूरी देने वाले वर्ष 1973 के ऐतिहासिक रो बनाम वेड (Roe v. Wade) निर्णय को पलट दिया है। इस निर्णय के साथ अब अमेरिकी महिलाओं के लिए गर्भपात के अधिकार का कानूनी दर्जा खत्म हो जाएगा। वैसे अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि संविधान गर्भपात का अधिकार प्रदान नहीं करता है। यह भी कि गर्भपात को विनियमित करने का अधिकार लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों को वापस कर दिया गया है। बहुमत से लिए गए निर्णय को सुनाते हुए न्यायमूर्ति सैमुअल अलिटो ने कहा कि गर्भपात एक गहन नैतिक मुद्दा प्रस्तुत करता है। संविधान प्रत्येक राज्य के नागरिकों को गर्भपात को विनियमित करने या प्रतिबंधित करने से प्रतिबंधित नहीं करता है।
क्या है ‘रो बनाम वेड’ मामला (Roe vs Wade case) ?
- वर्ष 1969 में, छद्म नाम “जेन रो” के तहत एक 25 वर्षीय सिंगल महिला, नोर्मा मैककोर्वे (Norma McCorvey) ने टेक्सास प्रान्त के आपराधिक गर्भपात कानूनों को चुनौती दी थी। राज्य ने गर्भपात को असंवैधानिक करार दिया था, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां मां की जान को खतरा हो ।
- गर्भपात विरोधी कानून का बचाव करने वाले थे डलास काउंटी के जिला अटॉर्नी हेनरी वेड। इसलिए केस को रो बनाम वेड (Roe vs Wade case) नाम दिया गया।
- सुश्री मैककोर्वे के गर्भ में तीसरा बच्चा था। उन्होंने कोर्ट में दावा किया कि उसके साथ बलात्कार किया गया था इसलिए उन्हें गर्भपात की अनुमति दी जाये। लेकिन उनका मामला खारिज कर दिया गया और उन्हें बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- वर्ष 1973 में उनका मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां उनके मामले की सुनवाई जॉर्जिया की 20 वर्षीय महिला सैंड्रा बेंसिंग के साथ हुई। इन दोनों महिलाओं ने तर्क दिया कि टेक्सास और जॉर्जिया में गर्भपात कानून अमेरिकी संविधान के खिलाफ है क्योंकि ये एक महिला के निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
- 7-2 मतों के बहुमत से, सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि राज्य सरकारों के पास गर्भपात को प्रतिबंधित करने की शक्ति नहीं है।
- उन्होंने फैसला दिया कि एक महिला को अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने का अधिकार अमेरिकी संविधान द्वारा संरक्षित किया गया है।
- इस मामले ने अमेरिकी महिलाओं को गर्भावस्था के पहले तीन महीनों (ट्राइमेस्टर) में गर्भपात का पूर्ण अधिकार दिया।
- इसने गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में कुछ सरकारी विनियमन की भी अनुमति दी।
- रो बनाम वेड मामले ने यह भी स्थापित किया कि गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में, एक महिला किसी भी कानूनी प्रतिबंध के बावजूद गर्भपात प्राप्त कर सकती है, यदि डॉक्टर प्रमाणित करते हैं कि यह उनके जीवन या स्वास्थ्य को बचाने के लिए आवश्यक है।
गर्भपात के पक्ष एवं विपक्ष में तर्क
कानूनी गर्भपात के समर्थकों का मानना है कि गर्भपात एक सुरक्षित चिकित्सा प्रक्रिया है जो जीवन की रक्षा करती है। गर्भपात पर प्रतिबन्ध लगाने से गर्भवती महिलाओं को गर्भपात की मांग नहीं करने के आधार पर उनके जीवन को खतरे में डालता है। साथ ही यह उनकी शारीरिक स्वायत्तता से भी वंचित करता है, जिससे व्यापक प्रभाव पैदा होते हैं।
कानूनी गर्भपात के विरोधियों का मानना है कि गर्भपात हत्या है क्योंकि जीवन गर्भधारण से शुरू होता है। उनका यह भी तर्क है कि गर्भपात एक ऐसी संस्कृति बनाता है जिसमें जीवन डिस्पोजेबल हो जाता है। यह भी कि जन्म नियंत्रण, स्वास्थ्य बीमा और यौन शिक्षा तक पहुंच में वृद्धि गर्भपात को अनावश्यक बना देगी।
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