बुद्ध के पवित्र ‘कपिलवस्तु अवशेष’ मंगोलिया की यात्रा पर

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मंगोलिया के लोगों के प्रति एक विशेष श्रद्धा भाव के तहत, 14 जून की तारीख को पड़ने वाले मंगोलियाई बुद्ध पूर्णिमा के उत्सव के हिस्से के रूप में भगवान बुद्ध के चार पवित्र अवशेषों को भारत से मंगोलिया ले जाया गया है।

  • पवित्र अवशेषों के साथ केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू के नेतृत्व में 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगोलिया गए हैं। गंदन मठ (Gandan Monastery) के परिसर में स्थित बट्सगांव मंदिर में पवित्र अवशेष प्रदर्शित किए जाएंगे।
  • पवित्र बुद्ध के अवशेष, जो वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए हैं, ‘कपिलवस्तु अवशेष’ (Kapilvastu Relics) के रूप में जाने जाते हैं। इन अवशेषों को पहली बार 1898 में खोजे गए एक स्थल से प्राप्त किये गए हैं, जिसे कपिलवस्तु का प्राचीन शहर माना जाता है।
  • मंगोलिया में इन अवशेषों को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया जाएगा ।

कपिलवस्तु के बारे में

  • उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला मुख्यालय से 22 किमी. दूर कपिलवस्तु में वर्ष 1898 में अंग्रेज जमींदार डब्ल्यू.सी. पेप्पे ने कुछ खुदाई कराई । यहां उन्हें एक स्तूप प्राप्त हुआ।
  • स्तूप की खुदाई करने पर एक सेलखड़ी (चौक स्टोन) का बना कलश मिला, जिस पर अशोक कालीन ब्राह्मी लिपि में लिखा था-“सुकिती भतिनाम भगिनी का नाम-सा-पुत-दात्नानाम इयम सलीला-निधाने-बुद्धस भगवते साक्यिानाम।”
  • “बुद्ध भगवान के अस्थि अवशेषों का यह पात्र शाक्य सुकिती भ्रातृ, उनकी बहनों, पुत्रों और पत्नियों द्वारा दान किया गया है।” यह पात्र आज भी दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा है।
  • भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनके अस्थि अवशेष आठ भागों में विभाजित किए गए थे, जिनमें से एक भाग भगवान बुद्ध के शाक्य वंश को भी प्राप्त हुआ था।
  • वर्ष 1971 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तत्कलीन निदेशक के.एम. श्रीवास्तव ने उस स्थान पर खोज व खुदाई का काम कराया। उसी स्तूप में लगभग 10 फीट और गहराई पर, चौकोर पत्थर के एक बक्से में दो सेलखड़ी कलश मिले, जिनमें भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष रखे थे।
  • ये दोनों पात्र और अस्थियां राष्ट्रीय संग्रहालय जनपथ, नई दिल्ली में रखे हैं।
  • नेपाल में लुम्बिनी के 28 की.मी. पश्चिम में स्थित कपिलवस्तु राजा शुद्धोधन की राजधानी थी। शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन के ही पुत्र थे गौतम बुद्ध। वैसे गौतम बुद्ध की जन्मस्थली, कपिलवस्तु की भौगोलिक स्थिति मतभेद हैं।
  • कुछ लोग कपिलवस्तु नेपाल के तिलौराकोट में स्थित मानते हैं वहीं कुछ लोग भारत-नेपाल सीमारेखा के भारत की तरफ, पिपरावा में। हालांकि यह दोनों स्थल लुम्बिनी के बहुत समीप स्थित है।

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