GST परिषद की सिफारिशें केंद्र और राज्यों पर बाध्यकारी नहीं है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को कहा कि केंद्र और राज्य विधानसभाओं के पास वस्तु और सेवा कर (Goods and Service Tax: GST) पर कानून बनाने के लिए “समान, एक साथ और विशिष्ट शक्तियां” हैं और जीएसटी परिषद (GST Council) की सिफारिशें इन दोनों पर बाध्यकारी नहीं हैं।

शीर्ष अदालत का फैसला गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले की पुष्टि करते हुए आया है जिसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार भारतीय आयातकों से समुद्री परिवहन पर एकीकृत माल और सेवा कर (Integrated Goods and Services Tax: IGST) नहीं लगा सकती है।

अब, भारतीय आयातकों को समुद्री माल ढुलाई के रूप में ज्ञात शिपिंग शुल्क पर 5 प्रतिशत एकीकृत माल और सेवाओं (IGST) का भुगतान नहीं करना होगा।

भारतीय आयातक “समग्र आपूर्ति” पर IGST का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं, जिसमें CIF (लागत, बीमा, माल ढुलाई) अनुबंध में माल की आपूर्ति और परिवहन, बीमा, आदि की सेवाओं की आपूर्ति शामिल है। शीर्ष अदालत ने कहा कि शिपिंग लाइन द्वारा “सेवाओं की आपूर्ति” के लिए भारतीय आयातक पर एक अलग शुल्क सीजीएसटी अधिनियम की धारा 8 का उल्लंघन होगा।

GST सहयोगी संवाद का उत्पाद

न्यायालय ने कहा कि GST परिषद की सिफारिशें संघ और राज्यों को शामिल करते हुए एक सहयोगी संवाद का उत्पाद हैं। ये सिफारिशी प्रकृति की हैं। सिफारिशों का केवल एक प्रेरक मूल्य होता है।

कानून बनाने की समान शक्ति

यह भी कि केंद्र और राज्यों, दोनों को GST पर कानून बनाने की समान शक्ति प्रदान की गयी है और इन सिफारिशों को बाध्यकारी मानने से राजकोषीय संघवाद (fiscal federalism) बाधित होगा ।

संविधान का अनुच्छेद 246A

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान का अनुच्छेद 246A (जो राज्यों को जीएसटी के संबंध में कानून बनाने की शक्ति देता है) संघ और राज्यों को “समान इकाइयों” के रूप में मानता है।

GST अधिनियम जीएसटी पर कानून बनाने के लिए एक साथ (संघ और राज्यों को) शक्ति प्रदान करता है। अनुच्छेद 279A, GST परिषद के गठन में, यह कल्पना करता है कि न तो केंद्र और न ही राज्य वास्तव में एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सार

  • GST परिषद की सिफारिशें केंद्र और राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन केवल एक प्रेरक मूल्य हैं।
  • GST परिषद की सिफारिशें संघ और राज्यों को शामिल करते हुए एक सहयोगी संवाद का उत्पाद है।
  • अनुच्छेद 279 A (4) के तहत शक्तियों के आधार पर जीएसटी परिषद की सभी सिफारिशें प्राथमिक कानून बनाने के लिए विधायिका की शक्ति पर बाध्यकारी नहीं हैं।
  • केंद्र और राज्यों के पास जीएसटी पर कानून बनाने की समान शक्तियां हैं।
  • एक व्यावहारिक समाधान प्राप्त करने के लिए परिषद को सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए।

GST की प्रमुख विशेषताएं

  • GST से संबंधित 122वां संविधान संशोधन विधेयक 2014, संसद् में 19 दिसंबर, 2015 के पेश किया गया।
  • 16 सितंबर, 2016 को 101वें संविधान संशोधन के रूप में यह अधिसूचित हुुआ।
  • GST भारत के संविधान के 101वें संशोधन के कार्यान्वयन के माध्यम से 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ।
  • जैसाकि संविधान की धारा 279A में प्रावधान है, वस्तु एवं सेवा कर परिषद (GST परिषद) 12 सितंबर, 2016 को अधिसूचित एवं प्रभावी हुई।
  • चार कानूनों, जिनके नाम हैं- CGST अधिनियम, UTGST अधिनियम, IGST अधिनियम एवं GST (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, को संसद द्वारा पारित किया गया और 12 अप्रैल, 2017 से इन्हें अधिसूचित कर दिया गया है।
  • GST वस्तु या सेवाओं की ‘आपूर्ति’ पर लागू होता है।
  • GST उत्पति-आधारित कराधान के सिद्धांत के विपरीत गंतव्य-आधारित उपभोग कराधान के सिद्धांत पर आधारित है।
  • यह केंद्र और राज्यों के साथ-साथ एक समान आधार पर कर लगाने वाला दोहरी GST है। केंद्र द्वारा लगाए जाने वाली GST को केंद्रीय जीएसटी (CGST) कहा जाएगा और राज्यों द्वारा लगाए जाने वाली जीएसटी को राज्य जीएसटी (CGST) कहा जाएगा।
  • एक एकीकृत जीएसटी (IGST) वस्तु या सेवाओं की अंतर-राज्य आपूर्ति (स्टॉक ट्रांसफर सहित) लगाया जाएगा। यह भारत सरकार द्वारा लगाया और एकत्र किया जाएगा और इस तरह के कर को संघ और राज्यों के बीच उस तरीके से विभाजित किया जाएगा
  • वस्तुओं या सेवाओं के आयात को अंतर-राज्य आपूर्ति के रूप में माना जाएगा और लागू सीमा शुल्क के अलावा IGST के अधीन होगा।

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