‘भारत में असमानता की स्थिति’ पर रिपोर्ट जारी हुई
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council to the Prime Minister: EAC-PM) के अध्यक्ष डॉक्टर बिबेक देबरॉय ने “भारत में असमानता की स्थिति” (State of Inequality in India Report) पर रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉम्पेटिटिवेनेस (Institute for Competitiveness) द्वारा तैयार की गयी जो भारत में असमानता की प्रवृत्ति व गहराई के समग्र विश्लेषण को प्रदर्शित करने के लिए जारी की जाती है।
- यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं और श्रम बाज़ार के क्षेत्रों की असमानताओं पर जानकारी इकट्ठा करती है। रिपोर्ट के दो हिस्से हैं- आर्थिक पहलू और सामाजिक-आर्थिक पहलू।
- रिपोर्ट उन पांच अहम क्षेत्रों पर ध्यान देती है, जो असमानता की प्रवृत्ति और अनुभव को प्रभावित करते हैं। इनमें: आय का वितरण व श्रम बाजार गतिशीलता (income distribution and labour market dynamics), स्वास्थ्य (health), शिक्षा (education) और पारिवारिक विशेषताएं (household characteristics) शामिल हैं।
- यह रिपोर्ट आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS), राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) और UDISE+ से हासिल किए गए आंकड़ों पर आधारित है।
आय का वितरण व श्रम बाजार गतिशीलता
- PLFS 2019-20 से खोजे गए आंकड़ों से पता चलता है कि जितनी संख्या में कमाने वाले लोग होते हैं, उनमें से शुरुआती 10% का मासिक वेतन 25,000 है।
- शुरुआती 1% कमाने वाले लोग, कुल मिलाकर कुल आय का 6-7% कमाते हैं। जबकि शुरुआती 10% कमाऊ लोग, कुल एक तिहाई आय की हिस्सेदारी रखते हैं।
- 2019-20 में भिन्न रोजगार वर्गों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी स्वरोजगार कर्मियों (45.78%), नियमित वेतनकर्मी (33.5%) और अनौपचारिक कर्मचारी (20.71%) की थी।
- सबसे कम आय वाले वर्ग में भी स्वरोजगार वाले कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है।
- देश की बेरोजगारी दर 4.8% (2019-20) है और कामगार-आबादी का अनुपात 46.8% है।
स्वास्थ्य अवसंरचना
- भारत में 2005 में 1,72,608 स्वास्थ्य केंद्र थे, अब 2020 में इनकी संख्या 1,85,505 है।
- राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और चंडीगढ़ जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2005 से 2020 के बीच स्वास्थ्य केंद्रों (इनमें उपकेंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं) में बहुत बढ़ोत्तरी की है।
- बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में से 78% को बच्चे के जन्म के बाद, दो दिन के भीतर नर्स या डॉक्टर की तरफ से सेवा-सुविधा उपलब्ध कराई गई। जबकि 79.1% शिशुओं को प्रसव के दो दिन के भीतर सेवा उपलब्ध करवाई गई।
शिक्षा और पारिवारिक स्थितियां
- 2019-20 तक 95% स्कूलों में परिसर के भीतर शौचालय सुविधाएं (लड़कों के 95.9% सुचारू शौचालय और लड़कियों के 96.3% सुचारू शौचालय) थीं। 80.16% स्कूलों में सुचारू विद्युत कनेक्शन था, जबकि गोवा, तमिलनाडु, चंडीगढ़, दिल्ली और दादरा व नगर हवेली के साथ-साथ दमन व दीव, लक्ष्यद्वीप, पुडुचेरी में 100% स्कूलों में विद्युत कनेक्शन मौजूद थे।
- स्वच्छता और सुरक्षित पीने योग्य जल तक पहुंच से ज्यादातर परिवार सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर हुए हैं। NFHS-5 (2019-20) के मुताबिक, 97% परिवारों के पास विद्युत पहुंच उपलब्ध है, जबकि 70% के पास बेहतर सफाई सेवाओं तक पहुंच है और 96% को सुरक्षित पीने योग्य पानी उपलब्ध है।
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