मार्तंड सूर्यमंदिर में पूजा-पाठ पर ASI की आपत्ति
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के मट्टन स्थित मार्तंड सूर्यमंदिर (Martand Sun temple) में लगभग 700 साल बाद इस साल से पूजन की पहल शुरू हुई है। शंकराचार्य जयंती पर देशभर से जुटे 108 पंडितों ने सूर्यमंदिर पहुंचकर हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा भी 8 मई को मंदिर में नवग्रह अष्टमंगलम पूजा में शामिल हुए। हालांकि, मंदिर अभी आम लोगों के लिए नहीं खोला गया है। पुरातत्व विभाग मंदिर की देखरेख कर रहा है।
क्या है विवाद ?
- पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कहा कि बिना उसकी अनुमति के पूजा अर्चना की गयी। प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल व अवशेष अधिनियम ( Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains), 1959 के नियम-7 (1) के तहत किसी भी संरक्षित स्मारक स्थल पर केंद्र सरकार की लिखित अनुमति बिना कोई बैठक, दावत या सम्मेलन का आयोजन नहीं हो सकता।
- हालांकि नियम-7 (2) संबंधित स्थल पर होने वाले नियमित व मान्यताप्राप्त धार्मिक अनुष्ठानों पर लागू नहीं होता।
- नियमों के मुताबिक, अगर पुरातत्व विभाग द्वारा किसी स्थान अथवा परिसर को अपनी सुपुर्दगी में लिए जाने के समय वहां कोई धार्मिक अनुष्ठान, पूजा या अन्य कोई समारोह करता है तो वह पुरातत्व विभाग द्वारा संबंधित स्थान को अधिकार में लिए जाने के बाद भी जारी रहेगा।
मार्तंड सूर्यमंदिर (Martand Sun temple) के बारे में
- मट्टन में मार्तंड तीर्थ से करीब एक किलोमीटर दूर मार्तंड सूर्य मंदिर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा मंदिर (Martand Sun temple) को “राष्ट्रीय महत्व का स्थल” (site of national importance) घोषित किये जाने की बाद पहली बार यहां पूजा-अर्चना की गयी ।
- 8 वीं शताब्दी के मार्तंड सूर्य मंदिर के खंडहर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रभार में एक संरक्षित स्मारक के रूप में खड़े हैं। इसे एएसआई द्वारा “राष्ट्रीय महत्व की साइट” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- कल्हण की राजतरंगिणी, जो 1148 और 1149 के बीच कश्मीर के इतिहास का एक लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है – के अनुसार मार्तंड सूर्य मंदिर को 8वीं शताब्दी ईस्वी में काराकोट राजवंश के महाराजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा बनवाया गया था।
- कहा जाता है कि सूर्य की पूजा के लिए समर्पित, मार्तंड मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार है, जो एक पठार के ऊपर चूना पत्थर से निर्मित है। ऐसा कहा जाता है कि इसमें विशाल इंटरलॉकिंग पत्थर और सोने के साथ सोने का पानी चढ़ा हुआ था।
- मुक्तापीड द्वारा मंदिर के लिए चुना गया स्थान रणनीतिक था। यह एक पठार के ऊपर बनाया गया था जहाँ से कहा जाता है कि कोई भी पूरी कश्मीर घाटी को देख सकता है।
- पुरातत्त्वविद स्वीकार करते हैं कि यह कश्मीरी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना था जिसमें गांधार, गुप्त और चीनी शैलियों का मिश्रण था।
- मंदिर में 365 मूर्तियां परिक्रमा मार्ग में हैं। द्वारपाल जय-विजय के साथ गंगा व यमुना जी की मूर्ति भी है। इसके साथ ही गणपति, कृष्ण, हनुमान, शंकर समेत अन्य भगवानों की भी मूर्तियां हैं। हालांकि, ये मूर्तियां अब जर्जर स्थिति में हैं।
- मंदिर को सिकंदर शाह मिरी, उर्फ सिकंदर बुतशिकन (1389-1413) द्वारा नष्ट कर दिया गया था। बुतशिकन शाह मिरी वंश का छठा सुल्तान था और कहा जाता है कि उसने ब्राह्मणों पर राज्य सत्ता का दावा करने के प्रयास में मंदिर को नष्ट कर दिया था, जो उस समय बहुत अधिक अधिकार रखते थे।
भारत के कुछ प्रसिद्ध सूर्य मंदिर (Sun Temples of India)
भारत के कुछ प्रसिद्ध सूर्य मंदिर हैं;
- दक्षिणार्क मंदिर (गया),
- सूर्य मंदिर (मार्तंड, जम्मू और कश्मीर),
- कोणार्क सूर्य मंदिर (ओडिशा),
- मोढेरा सूर्य मंदिर (गुजरात),
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