हाई कोर्ट में एड हॉक जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ ने 30 जनवरी, 2025 को इस शर्त में ढील दी कि राज्य उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों (ad hoc judges) की नियुक्ति तभी की जा सकती है, जब उजजों की रिक्तियां स्वीकृत पद के 20% से अधिक हों। यह शर्त चार साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रहरी बनाम भारत संघ मामले में अप्रैल 2021 के फैसले में लगाई थी।
संविधान के अनुच्छेद 224A में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को तदर्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि एक तदर्थ न्यायाधीश आपराधिक अपीलों की सुनवाई के लिए एक खंडपीठ में एक कार्यरत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के साथ उपस्थित हो सकता है।
तदर्थ न्यायाधीशों की संख्या किसी उच्च न्यायालय की स्वीकृत न्यायिक क्षमता के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इसका अर्थ यह होगा कि एक उच्च न्यायालय में कम से कम दो से पांच तदर्थ न्यायाधीश नियुक्त किये जा सकेंगे।
उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए 2021 के फैसले में उल्लिखित अन्य शर्तों में शामिल हैं; यदि किसी विशेष याचिका श्रेणी के मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं, यदि 10% मामलें पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं , और यदि निपटान की दर का प्रतिशत नये मामलों की संख्या की तुलना में कम है।