सर्कुलटिंग ट्यूमर डीएनए (ctDNA)
फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि सर्कुलटिंग ट्यूमर डीएनए (ctDNA) का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट से फेफड़े के कैंसर के आउटकम के पूर्वानुमान करने में मदद मिल सकती है। यह अध्ययन नेचर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने नेक्सट पर्सनल नामक एक सम्पूर्ण जीनोम सीक्वेंस प्लेटफॉर्म का उपयोग किया, जो ctDNA की बहुत छोटी मात्रा का पता लगा सकता है। शोधकर्ताओं ने इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करके प्रारंभिक चरण के फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित 171 व्यक्तियों के रक्त प्लाज्मा के नमूनों का विश्लेषण किया।
अध्ययन से पता चला कि सर्जरी से पहले जिन व्यक्तियों में ctDNA का स्तर कम था, उनमें बीमारी के दोबारा होने की संभावना कम थी तथा ctDNA के उच्च स्तर वाले व्यक्तियों की तुलना में उनकी समग्र उत्तरजीविता दर बेहतर थी।
ctDNA
ctDNA रक्तप्रवाह में पाया जाता है और यह कैंसर कोशिकाओं और ट्यूमर से आने वाले DNAको संदर्भित करता है। बता दें कि अधिकांश डीएनए कोशिका के केन्द्रक के अंदर होता है।
जैसे-जैसे ट्यूमर बढ़ता है, कोशिकाएं मर जाती हैं और उनकी जगह नई कोशिकाएं आ जाती हैं। मृत कोशिकाएं टूट जाती हैं और डीएनए सहित उनकी सामग्री रक्तप्रवाह में छोड़ दी जाती है।
ctDNA डीएनए के छोटे टुकड़े होते हैं, जिनकी लंबाई आमतौर पर 200 से कम बिल्डिंग ब्लॉक (न्यूक्लियोटाइड) होती है। ctDNA रोग के निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसे सटीक रूप से मापना चुनौतीपूर्ण है।
ctDNA डॉक्टरों को यह पहचानने में मदद कर सकता है कि कौन से रोगियों को किसी विशेष उपचार पद्धति से लाभ मिलने की सबसे अधिक संभावना है।