फायर रिटार्डेंट फॉस-चेक
हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया में लगी आग को बुझाने के लिए बड़ी मात्रा में चमकीले गुलाबी अग्निरोधी पदार्थ (pink fire retardant) का छिड़काव करने के लिए बड़े अग्निरोधी-छिड़काव विमान और 20 वाटर-ड्रॉपर हेलीकॉप्टर तैनात किए गए थे।
अग्निरोधी यानी फायर रिटार्डेंट वास्तव में रसायनों का मिश्रण है जिनका उपयोग आग को बुझाने या उसे फैलने से रोकने के लिए किया जाता है।
अग्निरोधी विभिन्न प्रकार के होते हैं लेकिन अमेरिका में जंगली आग से निपटने के लिए, अधिकारी आमतौर पर फॉस-चेक (Phos-Chek) का उपयोग करते हैं जो अग्निरोधी का एक ब्रांड है। फॉस-चेक में अधिकांशतः अमोनियम फॉस्फेट आधारित घोल होता है। आमतौर पर, यह अमोनियम पॉलीफॉस्फेट और डायमोनियम फॉस्फेट जैसे लवणों से बना होता है, जो पानी की तरह आसानी से वाष्पित नहीं होते हैं और लंबे समय तक बने रहते हैं।
जंगलों में आग फैलने से रोकने के लिए वनस्पति पर परत चढ़ाने तथा उसे जलने से रोकने के लिए फायर रिटार्डेंट का छिड़काव किया जाता है।
अग्निरोधी पदार्थ में आमतौर पर रंग मिलाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अग्निशमन कर्मी इसे देख सके। इससे उन्हें अग्निरोधी पदार्थ के चारों ओर फायर लाइन्स बनाने में मदद मिलती है, जिससे जान-मॉल को बचा लिया जाता है। फॉस-चेक गुलाबी रंग के होते हैं क्योंकि यह रंग “सबसे अधिक दृश्यमान होता है।”
हालांकि, पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि विमानों के जरिए अग्निरोधी पदार्थों का छिड़काव अप्रभावी, महंगा है और नदियों व झरनों के लिए प्रदूषण का बढ़ता स्रोत है।
दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूएससी) के शोधकर्ताओं द्वारा 2024 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि फॉस-चेक “विषाक्त धातुओं से भरा हुआ होता है, और अनुमान है कि रिटार्डेंट के उपयोग ने 200 के बाद से पर्यावरण में इन रसायनों के 850,000 पाउंड जारी किए हैं।
इन विषाक्त धातुओं में क्रोमियम और कैडमियम शामिल हैं जो मनुष्यों में कैंसर, तथा किडनी और लीवर की बीमारियों का कारण बन सकता है।
हालांकि, पर्यावरण पर उनका प्रतिकूल प्रभाव अधिक चिंता का विषय है, विशेषकर तब जब रिटार्डेंट जलमार्गों में प्रवेश कर जाते हैं। उदाहरण के लिए, उपर्युक्त विषाक्त धातुएं जलीय जीवों को नष्ट कर सकती हैं। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी, जंगली आग की घटनाएं और भी अधिक लगातार और तीव्र होने की आशंका है। इससे हवाई अग्निरोधी पदार्थों का उपयोग बढ़ेगा ही।