कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज (CROPS)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 4 जनवरी (2025) को कहा कि PSLV-C60 POEM-4 प्लेटफ़ॉर्म पर अंतरिक्ष में भेजे गए लोबिया के बीज (cowpea seeds) मिशन के लॉन्च के चार दिनों के भीतर माइक्रोग्रैविटी (Microgravity) स्थितियों में अंकुरित हो गए हैं।
ISRO ने माइक्रोग्रैविटी स्थितियों में पौधों की वृद्धि का अध्ययन करने के लिए विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) द्वारा आयोजित “कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज (Compact Research Module for Orbital Plant Studies: CROPS) प्रयोग के हिस्से के रूप में आठ लोबिया के बीज भेजे।
PSLV-C60 मिशन ने 30 दिसंबर 2024 को दो स्पैडेक्स उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया। माइक्रोग्रैविटी (Microgravity) उस स्थिति को कहते हैं, जहां गुरुत्वाकर्षण बहुत कम होता है।
माइक्रोग्रैविटी (Microgravity)
माइक्रोग्रैविटी (Microgravity) में, अंतरिक्ष यात्री अपने अंतरिक्ष यान में तैर सकते हैं – या बाहर, अंतरिक्ष में चहलकदमी कर सकते हैं। भारी वस्तुएं आसानी से इधर-उधर घूमती हैं।
नासा के अनुसार, माइक्रोग्रैविटी (Microgravity) को कभी-कभी “जीरो ग्रेविटी” कहा जाता है, लेकिन यह भ्रामक है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरिक्ष में हर जगह थोड़ी मात्रा में गुरुत्वाकर्षण पाया जा सकता है।
गुरुत्वाकर्षण या ग्रैविटी वह है जो चंद्रमा को पृथ्वी की कक्षा में बनाये रखता है। गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। यह सूर्य को आकाशगंगा में एक स्थान पर बनाये रखता है।
बता दें कि दूरी के साथ गुरुत्वाकर्षण कमजोर होता जाता है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन 200 से 250 मील की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। उस ऊंचाई पर, पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वाकर्षण का लगभग 90 प्रतिशत है। दूसरे शब्दों में, यदि पृथ्वी की सतह पर 100 पाउंड वजन वाला कोई व्यक्ति अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचता है, तो वहां पर उस व्यक्ति का वजन 90 पाउंड होगा।