मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम में संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था (PAR) फिर से लागू

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों की वजह से बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए विदेशियों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम में संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था (Protected Area Regime: PAR) को फिर से लागू किया है।

अब से, इन तीन पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा करने वाले विदेशियों को सरकार से पूर्व अनुमति और विशेष परमिट लेना होगा। 14 साल के अंतराल के बाद फिर से इसे लागू की गई है।

म्यांमार की सीमा से लगे तीन राज्यों में 2010 में प्रोटेक्टेड एरिया रेजीम में पहली बार एक साल की छूट दी गई थी और बाद में आदेश की अवधि को पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया था।

गौरतलब है कि विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश, 1958 के तहत, राज्य की ‘इनर लाइन’ और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बीच आने वाले सभी क्षेत्रों को प्रोटेक्टेड एरिया रेजीम घोषित किया जाता है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी विदेशी को संरक्षित क्षेत्रों में जाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है, जब तक कि “यात्रा को उचित ठहराने के लिए असाधारण कारण न हों”।

ये दिशानिर्देश संरक्षित क्षेत्रों के भीतर कुछ क्षेत्रों को भी निर्दिष्ट करते हैं, जहां पर्यटक परमिट के साथ जा सकते हैं। पर्यटन के अलावा अन्य कारणों से संरक्षित क्षेत्र परमिट प्रदान करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है। पर्यटन के लिए नहीं खोले गए क्षेत्रों में पर्यटन के लिए परमिट के लिए भी मंत्रालय से पूर्व अनुमति आवश्यक है।

2011 तक, यह व्यवस्था पूरे अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में तथा जम्मू -कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में लागू थी, जो सभी सीमावर्ती राज्य हैं।

हालांकि, 2010 में, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड के पूरे क्षेत्र के लिए इसमें छूट दी गई थी लेकिन सभी राज्यों में इस लागू राखी गई थी। 

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