नायक्करपट्टी टंगस्टन ब्लॉक

केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु के मदुरै जिले में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को टंगस्टन खनन अधिकार देने के हालिया फैसले का राज्य में व्यापक विरोध किया गया है।

हाल ही में, तमिलनाडु विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा की गई। 7 नवंबर को, केंद्रीय खान मंत्रालय ने आठ महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों की नीलामी सफलतापूर्वक पूरी करने की घोषणा की, जिनमें मदुरै के मेलूर तालुक में नायक्करपट्टी टंगस्टन ब्लॉक भी शामिल है। 

नायक्करपट्टी ब्लॉक, जो 2,015.51 हेक्टेयर में फैला हुआ है, स्कीलाईट (Scheelite) में समृद्ध है। यह टंगस्टन का प्रमुख अयस्क है और यह एयरोस्पेस, रक्षा, और ग्रीन एनर्जी तकनीकों के लिए महत्वपूर्ण है।
मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड, जो एक सरकारी इकाई है, ने इस क्षेत्र को टंगस्टन खनन  के लिए उपयुक्त माना है।

प्रस्तावित खनन स्थल में अरिट्टपट्टी क्षेत्र शामिल है, जो जैव विविधता से समृद्ध है और इसका गहरा ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। अरिट्टापट्टी को 2022 में जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया था।

राज्य विधानसभा के प्रस्ताव के अनुसार, इस क्षेत्र में कई ऐतिहासिक स्मारक हैं, जैसे कि गुफा मंदिर, जैन चिह्न, तमिल-ब्राह्मी लिपियां, पंचपांडवर शय्याएं, और यह क्षेत्र दुर्लभ प्रजातियों का हैबिटैट भी है। पर्यावरणविद, पुरातत्वविद, स्थानीय निवासी और तमिलनाडु सरकार को चिंता है कि खनन इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक परिदृश्य को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है। 

टंगस्टन, जिसे ‘वोल्फ्राम’ के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यधिक सघन, चमकीला ग्रे-श्वेत से लेकर स्टील-ग्रे धातु है। 

‘टंगस्टन’ नाम स्वीडिश शब्द ‘Tung Sten’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘भारी पत्थर’। टंगस्टन सभी धातुओं में सबसे ऊंचे गलनांक वाला तत्व है और इसे अन्य धातुओं के साथ मिश्रित कर उनकी मजबूती बढ़ाई जाती है।

टंगस्टन और इसके मिश्र धातु का उपयोग कई हाई टेम्परेचर एप्लीकशन में किया जाता है, जैसे आर्क वेल्डिंग इलेक्ट्रोड और उच्च तापमान भट्टियों में हीटिंग तत्व। यह अपनी बायोलॉजिकल भूमिका वाले सबसे भारी धातु के रूप में जाना जाता है। कुछ बैक्टीरिया टंगस्टन का उपयोग एक एंजाइम में करते हैं, जो कार्बोक्सिलिक अम्लों को एल्डिहाइड में परिवर्तित करता है।

टंगस्टन युक्त प्रमुख अयस्क स्कीलाईट (Scheelite) और वोल्फ्रामाइट (Wolframite) हैं। चीन दुनिया का सबसे बड़ा टंगस्टन उत्पादक और उपभोक्ता है।

भारत में, टंगस्टन की पूरी मांग केवल आयात और रीसाइक्लिंग से ही पूरी की जा सकती है।

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