बायोफ्लॉक टेक्नोलॉजी (BFT)

भारत के जलीय कृषि (aquaculture) सेक्टर  ने बायोफ्लॉक टेक्नोलॉजी (Biofloc Technology: BFT) और रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) को तेजी से अपनाया है। ये प्रैक्टिसेज, जहाँ एक ओर तीव्र उत्पादन, सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण पर कम नुकसान के रूप में लाभ प्रदान करती हैं, वहीं दूसरी ओर वे बीमारियों को दूर रखने में भी सक्षम हैं।

भारत सरकार का मत्स्य पालन विभाग राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सब्सिडी प्रदान करके किसानों के बीच इन तकनीकों को अपनाने के लिए बढ़ावा दे रहा है और प्रोत्साहित कर रहा है।

बायोफ्लॉक टेक्नोलॉजी (BFT) वास्तव में एक क्लोज्ड टैंक आधारित मछली पालन तकनीक है जो लाभकारी बैक्टीरिया (फ्लोक के रूप में जाना जाता है) का उपयोग करके फिश टैंक में पानी को साफ करता है।

हेटेरोट्रॉफिक बैक्टीरिया (आमतौर पर बैसिलस, स्यूडोमोनास, नाइट्रोसोमोनास, नाइट्रोबैक्टर, एसिनेटोबेक्टर और अल्केलिजेंस) का उपयोग ऑर्गेनिक अपशिष्ट (जैसे कि बिना खाए गए फ़ीड और मछली के अपशिष्ट) को माइक्रोबियल बायोमास में बदलने के लिए किया जाता है, जिसे मछली या झींगा द्वारा खाया जा सकता है।

यह प्रक्रिया पानी को बार-बार बदलने की आवश्यकता के बिना साफ रखती है और साथ ही साथ मछलियों में बीमारी के खतरे को भी कम करती है। पानी साफ रहता है, इसलिए किसानों को रसायनों या एंटीबायोटिक दवाओं के बाहरी उपयोग पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती है।

बायोफ्लॉक टेक्नोलॉजी फ़ीड पर धन भी बचाता है, क्योंकि मछली को रिसाइकल्ड अपशिष्ट से अतिरिक्त पोषक तत्व मिल सकते हैं, जिससे यह मछली पालन के लिए सस्टेनेबल, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बन जाता है।

रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) एक क्लोज्ड लूप टैंक-आधारित फार्मिंग भी है जो फिल्ट्रेशन के बाद पानी को रीसायकल करती है।

RAS टैंक में पानी को फ़िल्टर और साफ़ करता है, अपशिष्ट को हटाता है और इसे मछलियों के रहने के लिए सुरक्षित रखता है। इसमें यांत्रिक और जैविक फिल्ट्रेशन यूनिट्स  के साथ कल्चर्ड टैंकों की स्वचालित स्थापना है, और बाहरी स्रोतों से रोगजनकों के प्रवेश को प्रभावी ढंग से रोकता है।

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