स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर 2024 रिपोर्ट

खाद्य एवं कृषि की स्थिति 2024 (State of Food and Agriculture 2024) रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा जारी की गई है। रिपोर्ट में 153 देशों के लिए कृषि खाद्य प्रणालियों की मात्राबद्ध छिपी लागतों (हिडेन कॉस्ट) का विश्लेषण किया गया है।

खाद्य उत्पादन, खपत और वितरण से जुड़ी छिपी लागत को किसी व्यक्ति या समाज के लिए ऐसी किसी भी लागत के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी उत्पाद या सेवा के बाजार मूल्य में परिलक्षित नहीं होती है।

ये लगतें स्वास्थ्य को हानि, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, खाद्य पदार्थों से बीमारी फैलना आदि हो सकती है।

भारत में कृषि खाद्य प्रणालियों की कुल छिपी लागत सालाना लगभग 1.3 ट्रिलियन डॉलर थी, जो मुख्य रूप से अस्वास्थ्यकर आहार पैटर्न और भोजन के सेवन से गैर-संचारी रोगों के खतरों से सम्बंधित  थी।

खाद्य प्रणाली के मामले में भारत की छिपी हुई लागतें दुनिया में चीन ($1.8 ट्रिलियन) और संयुक्त राज्य अमेरिका ( $1.4 ट्रिलियन) के बाद तीसरी सबसे बड़ी थीं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और एडिटिव की अधिक खपत और पौधों से प्राप्त संपूर्ण खाद्य पदार्थों और लाभकारी फैटी एसिड की कम खपत की  वजह से खाद्य पदार्थों से नुकसान का खतरा बढ़ रहा है।

छिपी लागतों में शामिल अन्य प्रमुख सामाजिक लागतें  हैं:

कृषि खाद्य श्रमिकों में गरीबी (कृषि खाद्य प्रणालियों में वितरण संबंधी विफलताओं के कारण, जिसके कारण उत्पादकता और मजदूरी कम होती है),

पर्यावरणीय लागतें जैसे खाद्य और उर्वरक उत्पादन और ऊर्जा उपयोग से संपूर्ण खाद्य मूल्य श्रृंखला में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और

प्राथमिक उत्पादन स्तर पर नाइट्रोजन उत्सर्जन (वायु में अमोनिया और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन, नाइट्रोजन अपवाह और निक्षालन) और सीवरेज से।

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