कश्मीर विलो क्रिकेट बैट को हस्तशिल्प उद्योग का दर्जा

भारत सरकार ने ‘कश्मीर विलो क्रिकेट बैट’ को हस्तशिल्प उद्योग श्रेणी में सूचीबद्ध किया है। इससे कश्मीर घाटी के कारीगरों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।

केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने पहचान पत्र जारी करने इसे नवीनीकरण के उद्देश्य से शिल्प श्रेणियों की संशोधित सूची जारी की। शिल्प श्रेणियों को 9 मुख्य श्रेणियों और 36 उप श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया हैं।

ये श्रेणियां देश भर में प्रचलित कुल 455 शिल्पों को कवर करती हैं। 2016 में शुरू की गई “पहचान योजना” का उद्देश्य हस्तशिल्प कारीगरों को एक नई पहचान प्रदान करना है ताकि  उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सके।

कश्मीर घाटी के विलो बैट निर्माता लंबे समय से कश्मीर विलो क्रिकेट बैट को ‘हस्तशिल्प’ के रूप में नामित करने की वकालत कर रहे हैं।

सूचीबद्ध हस्तशिल्प कारीगरों को राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (NHDP) और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (CHCDS) जैसी योजनाओं से लाभ मिलता है।

गौरतलब है कि 700 करोड़ रुपये की वैल्यू वाला सौ साल पुराना कश्मीरी विलो बैट इंडस्ट्री पूरे कश्मीर क्षेत्र में 10,000 से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है।

आज कश्मीरी विलो बैट इंडस्ट्री को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें कश्मीर के बाहर से लकड़ी के टुकड़ों की तस्करी, सीज़निंग सुविधा की कमी और विलो पेड़ों की घटती संख्या शामिल है।

स्वदेशी बैट उद्योग को संरक्षित करने के लिए,विलो बैट निर्माता अपने लिए जीआई (भौगोलिक संकेतक) टैगिंग की मांग भी कर रहे हैं। 

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