महाराष्ट्र सरकार ने देशी गाय की नस्लों को ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित किया
महाराष्ट्र सरकार ने 30 सितंबर, 2024 को राज्य की देशी गाय की नस्लों को ‘राज्यमाता-गोमाता’ (RajyaMata-Gomata) घोषित किया। देशी गाय की नस्लों की घटती संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया।
कैबिनेट ने देशी गायों के पालन-पोषण के लिए सब्सिडी योजना लागू करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। इस योजना के तहत गोशालाओं को प्रति गाय प्रतिदिन 50 रुपये दिए जाएंगे।
राज्य सरकार के अनुसार, राज्य के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग देशी नस्लें पाई जाती हैं (मराठवाड़ा संभाग में देवनी और लालकंधारी; पश्चिमी महाराष्ट्र में खिल्लर; उत्तर महाराष्ट्र में डांगी; और विदर्भ में गवलाऊ, इसके उदाहरण हैं)। हालांकि, हर दिन देशी गायों की संख्या कम होती जा रही है।
राज्य सरकार ने आगे कहा कि देशी गायों का दूध संपूर्ण आहार है क्योंकि इसमें मानव शरीर के लिए जरुरी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।
राज्य सरकार के मुताबिक मानव आहार में इसके महत्व, आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में पंचगव्य (गाय से प्राप्त पांच उत्पादों का मिश्रण) के उपयोग और जैविक कृषि प्रणाली में देशी गायों के गोबर और मूत्र के महत्व को देखते हुए देशी गायों की संख्या में कमी चिंता का विषय है।