मंत्रिमंडल ने नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) के विकास को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (Next Generation Launch Vehicle: NGLV) के विकास को मंजूरी दी है। यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय मानव युक्त मिशन के उतरने की क्षमता विकसित करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

NGLV में LVM3 की तुलना में 1.5 गुना लागत के साथ वर्तमान पेलोड क्षमता का 3 गुना होगा, और इसे फिर से उपयोग करने लायक बनाया जायेगा, जिसके परिणामस्वरूप स्पेस और मॉड्यूलर ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम तक कम लागत में पहुँच होगी।

इसे पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 टन की अधिकतम पेलोड क्षमता के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें री-यूजेबिलिटी फर्स्ट स्टेज है।

वर्तमान में, भारत ने वर्तमान में संचालित PSLV, GSLV, LVM3 & SSLV प्रक्षेपण यानों (लॉन्च व्हीकल) के माध्यम से 10 टन तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) और 4 टन तक के उपग्रहों को भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (Geo-Synchronous Transfer Orbit: GTO) में लॉन्च करने के लिए अंतरिक्ष ट्रांसपोर्ट सिस्टम में आत्मनिर्भरता हासिल की है।

NGLV का प्रदर्शन तीन विकास उड़ानों (D1, D2 & D3) के साथ किया जाएगा, जिसका लक्ष्य विकास चरण को पूरा करने के लिए 96 महीने (8 वर्ष) का है।

स्वीकृत कुल निधि 8240.00 करोड़ रुपये है और इसमें विकास लागत, तीन विकासात्मक उड़ानें, आवश्यक सुविधा स्थापना, कार्यक्रम प्रबंधन और लॉन्च अभियान शामिल हैं।

NGLV के विकास से भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, चंद्र/अन्य ग्रहों पर अन्वेषण मिशन के साथ-साथ संचार और अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट समूहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने सहित राष्ट्रीय और वाणिज्यिक मिशनों को सक्षम किया जा सकेगा, जिससे देश में संपूर्ण अंतरिक्ष इकोसिस्टम को लाभ होगा।

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