स्ट्रॉबिलेंथस कुंथियाना
केरल के चोकरामुडी हिल्स में 2014 में नीलकुरिंजी (स्ट्रॉबिलेंथस कुंथियाना/Strobilanthes kunthiana) खिली थी और 12 वर्षों के बाद 2026 में फिर से इनके खिलने की संभावना है।
हालांकि हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अतिक्रमण के कारण स्ट्रॉबिलेंथस कुंथियाना गंभीर खतरे का सामना कर रही है। इडुक्की में बाइसन घाटी के ऊपर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण के कारण हजारों नीलकुरिंजी पौधे नष्ट हो गए हैं।
पर्यावरणविदों ने आशंका व्यक्त की है कि चोकरामुडी पहाड़ियों पर नीलकुरिंजी पौधों के विनाश से फूल के खिलने पर असर पड़ने की संभावना है।
आमतौर पर मुन्नार में स्थित एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान नीलकुरिंजी खिलने के लिए जाना जाता है , लेकिन इसके बाहर चोकरामुडी हिल्स उन प्रमुख क्षेत्रों में से एक है जहां जो बड़े पैमाने पर नीलकुरिंजी खिलते हैं।
जनवरी 2023 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची III के तहत नीलकुरिंजी को सूचीबद्ध किया था। इसका मतलब है कि इस प्रजाति को कानूनी सुरक्षा प्राप्त है, और इन पौधों को उखाड़ने या नष्ट करने पर ₹25,000 का जुर्माना और तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है