DICGC ने जमाकर्ताओं के क्लेम-स्टेटस को ट्रैक करने के लिए “दावा सूचना” शुरू की
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) ने जमाकर्ताओं के लिए उनके क्लेम के स्टेटस को ट्रैक करने के लिए एक ऑनलाइन टूल “दावा सूचना” (Daava Soochak) शुरू की है।
अपनी स्थापना के बाद से DICGC का कार्य विफल बैंकों के जमाकर्ताओं को बीमित राशि की प्रतिपूर्ति करना रहा है।
दावा सूचना, एक यूजर फ्रेंडली ऑनलाइन टूल है जो जमाकर्ताओं के लिए प्रदान की जाने वाली सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए DICGC की चल रही प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
इसमें जमाकर्ता 01 अप्रैल 2024 के बाद आल इंक्लूसिव डायरेक्शन (All Inclusive Directions) के तहत रखे गए बैंकों के लिए अपने क्लेम का स्टेटस देख सकते हैं।
DICGC यह सुनिश्चित करता है कि संस्थाओं द्वारा जमा की गई राशि को छोड़कर बैंकों के पास जमा अन्य सभी श्रेणी की राशि का बीमा हो।
जमा बीमा कवरेज सीमा 1962 से छह बार बढ़ाई गई है, और वर्तमान में बीमित बैंक की सभी शाखाओं में समान अधिकार और समान क्षमता में रखे गए प्रति जमाकर्ता 5 लाख रुपये तक की राशि बीमित होती है। वर्तमान में, कुल जमा खातों का 97.8% पूरी तरह से संरक्षित है। शेष 2.2% खातों में से, 5 लाख रुपये की सीमा तक जमा का बीमा किया जाता है।
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC)
DICGC के कार्य ‘जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम, 1961’ (DICGC अधिनियम) और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तैयार ‘जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम सामान्य विनियम, 1961’ के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं।
DICGC का प्रबंधन उसके निदेशक मंडल के पास निहित है, जिसके अध्यक्ष आरबीआई के डिप्टी गवर्नर होते हैं।
जमा बीमा योजना (Deposit Insurance Scheme) के अंतर्गत आने वाले बैंक हैं; (I) भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं, लोकल एरिया बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक। (II) सहकारी बैंक।
DICGC सभी बैंक जमाओं का बीमा करता है, जैसे-बचत, सावधि, चालू, आवर्ती आदि।
हालांकि यह अग्रलिखित की बीमा नहीं करता: भारतीय बैंकों में विदेशी सरकारों की जमाराशियां; केंद्र/राज्य सरकारों की जमाराशियां; इंटर-बैंक जमाराशियां; राज्य सहकारी बैंकों के पास राज्य भूमि विकास बैंकों की जमाराशियां।