टाइगर रिजर्व के कोर जोन

बाघ संरक्षण का कार्य करने वाली शीर्ष संस्था राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने 19 राज्यों को टाइगर रिजर्व के कोर जोन में रहने वाले ग्रामीणों को हटाने को “प्राथमिकता” देने के लिए पत्र लिखा है। हालांकि कई संगठनों और कार्यकर्ताओं इस कदम के प्रति चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इन निर्देशों का विरोध करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है।

कार्यकर्ताओं ने पत्र में आरोप लगाया है कि NTCA द्वारा कोर जोन  स्थानांतरण आदेश वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम (LARR) में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का “पूर्ण उल्लंघन” है।

बता दें कि ‘कोर जोन’ किसी टाइगर रिजर्व का वह हिस्सा है जहां आदिवासी नहीं रह सकते हैं तथा इस जोन में शिकार और वन उपज एकत्र करने जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध है।

‘कोर जोन’ के बाहर एक सर्किल होता है जिसे बफर जोन कहा जाता है जहां इन प्रतिबंधों में ढील दी जाती है और कुछ गतिविधियों की अनुमति होती है।

वन्यजीव अधिनियम कहता है कि कोर जोन अनुल्लंघनीय है और निवासियों को “पारस्परिक रूप से सहमत नियमों और शर्तों” पर “स्वेच्छा से किसी अन्य जगह स्थानांतिरत” करने के लिए राजी करके ऐसा किया जाना चाहिए।

1973 से अब तक इनमें से 257 गांवों के 25,007 परिवारों को स्थानांतरित किया जा चुका है।

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