केंद्र ने त्रिपुरा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए

केंद्र सरकार ने त्रिपुरा राज्य सरकार के सहयोग से नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) के साथ एक महत्वपूर्ण शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

समझौता ज्ञापन को 4 सितंबर को नई दिल्ली में औपचारिक रूप दिया गया।

शांति समझौते ने 35 साल लंबे संघर्ष का अंत किया, और सशस्त्र समूहों ने अब हिंसा का त्याग करने और त्रिपुरा के विकास में योगदान देने का संकल्प लिया है।

यह समझौता पूर्वोत्तर क्षेत्र में 12वां और त्रिपुरा से संबंधित तीसरा शांति समझौता है, जिसमें 10,000 से अधिक उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है और इसी तरह के समझौतों के तहत मुख्यधारा में शामिल हुए हैं।

वैसे तो त्रिपुरा में सशस्त्र संघर्ष 1967 से ही चल रहा है, जब सेंगक्राक नामक एक छोटे से संगठन ने हथियार उठाए थे, लेकिन उग्रवाद का चरम 80 के दशक के आखिर में आया, जब NLFT और ATTF सहित कई उग्रवादी समूह उभरे। हालांकि इनमें से अधिकांश अब काफी हद तक समाप्त हो चुके हैं, लेकिन NLFT  का एक छोटा गुट बांग्लादेश में सक्रिय बताया जाता है।

त्रिपुरा से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) को 2015 में ही हटा दिया गया था और इसे पूर्वोत्तर के कई हिस्सों से भी हटा लिया गया है।

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