कोणार्क-मूंगफली की नई किस्म

‘कोणार्क’ (Konark) मूंगफली (groundnut) की एक किस्म है जिसे तिरुपति में क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (RARS) द्वारा विकसित किया गया है।

अब यह किस्म ओडिशा और पश्चिम बंगाल के रसोईघरों तक पहुँचने के लिए तैयार है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने आधिकारिक तौर पर ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बोई जाने वाली ‘कोणार्क’ किस्म की मंजूरी दी  है।

यह किस्म ओडिशा और पश्चिम बंगाल की जलवायु परिस्थितियों के लिए बिल्कुल उपयुक्त पाई गई है और इसका नाम ‘कोणार्क’ रखा गया है।

इस किस्म को GPBD-4 x FDRS (ICG) 79 के क्रॉस से विकसित किया गया था। यह मध्यम अवधि में तैयार हो जाने वाली फसल  जल उपयोग में दक्षता के लिए जानी जाती है और 105 से 110 दिनों में उपज देती है।

इससे पहले, तिरुपति RARS ने आंध्र प्रदेश में बुवाई के लिए 2018 में ‘धीरज’ मूंगफली किस्म, 2022 में ‘विशिष्टा’ और 2023 में ‘हिमानी’ विकसित और जारी की थी।

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