भारत और जापान ने ग्रीन अमोनिया निर्यात पर पहले प्रोजेक्ट ऑफटेक समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत और जापान ने 20 अगस्त को ग्रीन अमोनिया (Green ammonia) के निर्यात के लिए अपने पहले प्रोजेक्ट ऑफटेक समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रोजेक्ट ऑफटेक समझौता ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया उत्पादन में ग्लोबल लीडर बनने की भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत से जापान को सीमा पार ग्रीन अमोनिया आपूर्ति साझेदारी के लिए हेड्स ऑफ टर्म्स (HoT: Heads of Terms) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारत से जापान को ग्रीन अमोनिया की आपूर्ति के लिए यह पहला समझौता है।

यह समझौता भारत में उत्पादन से लेकर जापान में खपत तक एक मजबूत सप्लाई चेन स्थापित करने में मदद करेगा, जिससे ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में भविष्य के सहयोग का मार्ग प्रशस्त होगा।

यह समझौता ग्लोबल एनर्जी मार्केट बाजार में एक प्रमुख प्लेयर के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करता है और ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा पहलों के लिए भारत सरकार के मजबूत समर्थन को दर्शाता है।

अमोनिया का उपयोग लंबे समय से उर्वरक के रूप में किया जाता रहा है, लेकिन यह आमतौर पर पानी के बजाय प्राकृतिक गैस से अलग किए गए हाइड्रोजन से बनता है। इस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन होता है।

अमोनिया का उत्पादन आमतौर पर हाइड्रोजन और नाइट्रोजन को हैबर-बॉश प्रक्रिया के रूप में जानी जाने वाली विधि के माध्यम से किया जाता है। यह “ब्राउन अमोनिया” हाइड्रोजन और ऊर्जा स्रोत, दोनों प्रदान करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग करता है।

वैश्विक अमोनिया उत्पादन ऊर्जा-से जुड़े CO2 उत्सर्जन में 1.3% का योगदान करता है।

वहीं ग्रीन अमोनिया उत्पादन प्रक्रिया अक्षय ऊर्जा पर निर्भर है, और इसके लिए हाइड्रोजन पानी से और नाइट्रोजन हवा से प्राप्त किया जाता है।

अमोनिया उत्पादन का यह रूप यानी ग्रीन अमोनिया प्रक्रिया आम तौर पर अधिक महंगी होती है, लेकिन धीरे-धीरे यह सस्ती होती जा रहे है, खासकर अक्षय ऊर्जा की कीमतों में गिरावट के कारण।

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