वैक्सीन डिराइव्ड पोलियोवायरस (VDPV) क्या है?
मेघालय के टिकरीकिल्ला में दो साल का बच्चा वैक्सीन-जनित पोलियो यानी वैक्सीन डिराइव्ड पोलियोवायरस (vaccine-derived poliovirus: VDPV)) से संक्रमित हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, यह वाइल्ड पोलियोवायरस का मामला नहीं है, बल्कि एक ऐसा संक्रमण है जो कम प्रतिरक्षा वाले कुछ लोगों में होता है।
वैक्सीन डिराइव्ड पोलियोवायरस (VDPV)
अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल (CDC) के अनुसार, वैक्सीन डिराइव्ड पोलियोवायरस (VDPV) ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) में इस्तेमाल कमजोर (attenuated) जीवित पोलियोवायरस से संबंधित एक स्ट्रेन है।
कमजोर वायरस सीमित अवधि के लिए आंतों में अपनी रेप्लिकेट बनाता है और मल के साथ बाहर निकल जाता है।
हालाँकि यदि इसे लंबे समय तक कम या बिना टीकाकरण वाली आबादी में प्रसारित होने दिया जाए, या किसी प्रतिरक्षा रहित व्यक्ति में रेप्लिकेट होते रहना दिया जाए, तो कमजोर वायरस एक ऐसे रूप में वापस आ सकता है जो बीमारी और पैरालिसिस का कारण बनता है।
OPV एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन है जिसमें जीवित, कमजोर पोलियोवायरस के एक, दो या तीन स्ट्रेन का संयोजन होता है, और इसे ओरल बूंदों के रूप में दिया जाता है।
ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) भारत सहित दुनिया भर में वाइल्ड पोलियोवायरस को खत्म करने में सहायक रहा है, क्योंकि यह आंत में इम्युनिटी उत्पन्न करके वायरस के प्रसार को रोकता है।
वैक्सीन डिराइव्ड पोलियोवायरस (VDPV) तब उभरते हैं जब पर्याप्त लोगों को पोलियो के खिलाफ टीका नहीं लगाया जाता है, और OPV से पोलियोवायरस का कमजोर स्ट्रेन कम टीकाकरण वाली आबादी में फैलता है।
पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो)
पोलियोमाइलाइटिस/Poliomyelitis (पोलियो) एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो बड़े पैमाने पर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है।
वायरस मुख्य रूप से फेकल-ओरल रूट से व्यक्ति-से-व्यक्ति में फैलता है। पोलियोवायरस तीन प्रकार के हैं; – वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 1 (WPV1), वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 2 (WPV2) और वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 3 (WPV3)। लक्षणात्मक रूप से, ये सभी उपभेद या स्ट्रेन समान हैं।
WHO ने वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 2 को 1999 में समाप्त घोषित कर दिया गया था और वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 3 को 2020 में समाप्त घोषित कर दिया गया था।
2022 तक, एंडेमिक वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 1 का संक्रमण दो देशों में बना हुआ है: पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान।
भारत में वाइल्ड पोलियोवायरस का आखिरी मामला – प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले वायरस से होने वाला संक्रमण – 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में पाया गया था। तीन साल तक सभी वाइल्ड पोलियो संक्रमण को सफलतापूर्वक रोकने के बाद, भारत को 2014 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया था।