डिस्बिओसिस (Dysbiosis) क्या है?
डिस्बिओसिस (Dysbiosis) माइक्रोबियल यान सूक्ष्मजीव प्रजातियों के असंतुलन और मानव शरीर के माइक्रोबायोम के भीतर माइक्रोबियल यानी सूक्ष्मजीव विविधता में कमी को संदर्भित करता है।
बता दें कि मानव शरीर में बड़ी संख्या में सूक्ष्मजीव रहते हैं जिसे सामूहिक रूप से माइक्रोबायोम (microbiome) के रूप में जाना जाता है। इसमें बैक्टीरिया, फंगस और वायरस शामिल हैं।
आश्चर्यजनक रूप से, हमारे शरीर में लगभग 38 ट्रिलियन माइक्रोबियल कोशिकाएं होती हैं, जो हमारी अपनी 30 ट्रिलियन कोशिकाओं की संख्या से अधिक हैं। इसका मतलब है कि हम इंसानों से ज़्यादा माइक्रोबियल हैं।
विशेष रूप से आंत माइक्रोबायोम (gut microbiome) हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पाचन में सहायता करता है, इम्यून सिस्टम का समर्थन करता है, विटामिन K और कुछ B विटामिन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का उत्पादन करता है, और रोगजनकों से बचाता है।
इन सूक्ष्मजीव समुदायों की विविधता और संतुलन हमारी सेहत के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जहां एंटीबायोटिक बैक्टीरिया संक्रमण के इलाज के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इन्हीं एंटीबायोटिक्स का विवेकहीन तरीके से उपयोग माइक्रोबायोम पर कहर बरपा सकता है। एंटीबायोटिक्स हानिकारक रोगजनकों और लाभकारी बैक्टीरिया के बीच भेदभाव नहीं करते हैं।
जब हम एंटीबायोटिक्स लेते हैं, खासकर ब्रॉड-स्पेक्ट्रम वाले, तो वे आंत के बैक्टीरिया के एक बड़े हिस्से को खत्म कर देते हैं। डिस्बिओसिस (Dysbiosis) के रूप में जाना जाने वाला यह विकार गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव हो सकते हैं। यहां तक कि एंटीबायोटिक दवाओं का एक भी कोर्स डिस्बिओसिस पैदा कर सकता है जो महीनों या सालों तक रहता है।
डिस्बिओसिस इंफ्लेमेटरी आंत्र रोग (inflammatory bowel disease and irritable bowel syndrome) और इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम जैसी अधिक गंभीर रोगों का कारण बन सकता है।
मजबूत इम्यून सिस्टम के लिए स्वस्थ माइक्रोबायोम आवश्यक है। डिस्बिओसिस इम्यून सिस्टम को खराब कर सकता है, जिससे शरीर संक्रमण और ऑटोइम्यून बीमारियों की चपेट में आ सकता है। गट माइक्रोबायोम मेटाबोलिज्म के संचालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।