भारत में रेन्युबल एनर्जी क्षमता में एक दशक में 165% की वृद्धि हुई

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने राज्यसभा में कहा कि भारत में रेन्युबल एनर्जी की इन्सटाल्ड क्षमता में पिछले एक दशक में 165 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2014 में 76.38 गीगावाट (GW) से बढ़कर 2024 में 203.1 GW हो गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अब सोलर और पवन ऊर्जा में उल्लेखनीय प्रगति के साथ अक्षय ऊर्जा यानी रेन्युबल एनर्जी क्षमता के मामले में वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर है।

भारत पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे और सोलर पीवी क्षमता में पांचवें स्थान पर रहा।

पहली बार, भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन की 200 गीगावाट क्षमता को पार कर लिया है, जिसमें 85.47 गीगावाट सौर ऊर्जा और 46.93 गीगावाट बड़ी जलविद्युत 46.66 गीगावाट पवन ऊर्जा, 10.95 गीगावाट जैव ऊर्जा और 5.00 गीगावाट छोटी जलविद्युत शामिल हैं।

सौर ऊर्जा यानी सोलर एनर्जी क्षमता मार्च 2014 की 2.82 गीगावाट से बढ़कर जून 2024 तक 85.47 गीगावाट हो गई है, जो लगभग 30 गुना वृद्धि को दर्शाता है।

भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावाट स्थापित बिजली क्षमता उत्पादन का लक्ष्य रखा है।

कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता में थर्मल स्रोतों की हिस्सेदारी 2013-14 की 67.69 प्रतिशत से घटकर 2024-25 (जून 2024 तक) में 54.46 प्रतिशत हो गई है, जबकि कुल स्थापित क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी 32.30 प्रतिशत से बढ़कर 45.54 प्रतिशत हो गई है।

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