भारत से अगरवुड (Agarwood) के निर्यात का कोटा बढ़ा
भारत ने हाल ही में वन्य जीव और वनस्पतियों की एंडेंजर्ड प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन (CITES) के माध्यम से अगरवुड/Agarwood (एक्विलारिया मैलाकेंसिस) के निर्यात के लिए कोटा बढ़ाया है। इस कदम से, लाखों भारतीय किसानों/उत्पादकों को अगरवुड (एक्विलारिया मैलाकेंसिस) के निर्यात में लाभ होगा।
अगरवुड अपने सुगंधित और औषधीय मूल्य के लिए बेशकीमती है। इसका उपयोग अगरबत्ती, आवश्यक तेल और इत्र बनाने में किया जाता है। पिछले दशकों में जंगली से अत्यधिक कटाई के कारण यह प्रजाति नष्ट हो गई थी।
इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में थ्रीटेंड के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
इस पेड़ प्रजाति को 1995 से CITES के परिशिष्ट II में सूचीबद्ध किया गया है। इसका मतलब यह है कि हालांकि इसे विलुप्त होने का खतरा नहीं है, फिर भी ऐसा होने का जोखिम मौजूद है।
भारत में, अगरवुड मुख्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों के संरक्षित क्षेत्रों में जंगली रूप से उगता है। देश से इसके निर्यात पर नवंबर 2021 तक प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन पुन: निर्यात की अनुमति दी गई थी।
भारत सरकार ने 2024 में CITES को एक नॉन-डेंटरीमेन्ट फाइडिंग्स (NDF) रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के अनुसार, अगरवुड पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक उगने वाली प्रजातियों में से एक है, ज्यादातर असम, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा में।
रिपोर्ट के आधार पर, अगरवुड को महत्वपूर्ण व्यापार की समीक्षा (Review of Significant Trade: RST) से हटा दिया गया है।