केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ‘व्हाइट केटेगरी’
पर्यावरण मंत्रालय की दो अलग-अलग ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के अनुसार, वे उद्योग जो प्रदूषण नहीं फैलाते हैं और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ‘व्हाइट श्रेणी’ के तहत वर्गीकृत हैं, उन्हें अब वायु प्रदूषण रोकथाम अधिनियम, 1981 और जल प्रदूषण रोकथाम अधिनियम, 1974 के तहत स्थापित और संचालित करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की पूर्व मजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
आधिकारिक तौर पर ‘स्थापना के लिए सहमति’ (consent to establish: CTE)और ‘संचालन के लिए सहमति’ (consent to operate: CTO) के रूप में जानी जाने वाली ये मंजूरियां उन उद्योगों को विनियमित करने के लिए दी जाती हैं जो पर्यावरण में अपशिष्टों को बहाते हैं या प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।
मंत्रालय ने उन “परियोजनाओं/गतिविधियों” के लिए स्थापना की अनुमति (consent to establish: CTE) परमिट लेने की अनिवार्यता को समाप्त करने का भी प्रस्ताव दिया है, जिनके लिए पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता होती है।
CTE संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदूषण मानदंडों का पालन करने के लिए मानक या विशिष्ट शर्तों के साथ प्रदान किया जाता है।
जल अधिनियम, 1974 और वायु अधिनियम, 1981 के अनुसार, निर्माण गतिविधियों को शुरू करने से पहले CTE या NOC की आवश्यकता होती है और व्यक्तिगत प्रतिष्ठानों जैसी यूनिट्स के संचालन से पहले संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से CTO प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाएं, एयर कूलर की असेंबली, साइकिल असेंबली कुछ ऐसी परियोजनाएं और गतिविधियां हैं जो व्हाइट केटेगरी में आती हैं और उन्हें CTE और CTO परमिट से छूट दी गई है। 2016 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पुनर्वर्गीकरण के बाद, 20 तक के प्रदूषण सूचकांक स्कोर वाले औद्योगिक क्षेत्र इस श्रेणी में आते हैं। किसी भी औद्योगिक क्षेत्र का प्रदूषण सूचकांक 0-100 तक की संख्या हती है।