BGRL का साइंटिफिक डीप-ड्रिलिंग कार्यक्रम
साइंटिफिक डीप-ड्रिलिंग पृथ्वी की भूपर्पटी यानी क्रस्ट के गहरे हिस्सों की स्टडी और एनालिसिस करने के लिए स्ट्रेटेजिक रूप से बोरहोल खोदना है। यह वैज्ञानिकों को भूकंप का अध्ययन करने में मदद करता है तथा पृथ्वी के इतिहास, चट्टान के प्रकार, ऊर्जा संसाधनों, जीवन रूपों, जलवायु परिवर्तन पैटर्न, जीवन के विकास इत्यादि के बारे में हमारी समझ को बढ़ता है।
महाराष्ट्र के कराड में स्थित बोरहोल जियोफिजिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (BGRL) भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक विशेष संस्थान है। इसे भारत के एकमात्र साइंटिफिक डीप-ड्रिलिंग कार्यक्रम (scientific deep-drilling programme) को पूरा करने का जिम्मा सौंपा गया है।
BGRL के तहत, उद्देश्य पृथ्वी के क्रस्ट को 6 किमी की गहराई तक ड्रिल करना और वैज्ञानिक स्टडी और एनालिसिस करना है, ताकि महाराष्ट्र के कोयना-वारना क्षेत्र में एक्टिव फॉल्ट ज़ोन में जलाशय-के निर्माण के बाद नियमित रूप से महसूस होने वाले भूकंप झटकों के कारणों को समझा जा सके।
1962 में कोयना बांध के निर्माण के बाद बनी शिवाजी सागर झील के समय से यह क्षेत्र लगातार और बार-बार भूकंप का अनुभव कर रहा है।
BGRL का पायलट बोरहोल – कोयना में 3 किमी की गहराई तक – पूरा हो गया है, और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय 6 किमी की गहराई तक ड्रिलिंग करने के कार्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बता दें कि टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं पर शक्तिशाली भूकंप, जो रिक्टर पैमाने पर 7.5 से अधिक मापते हैं, लगभग निश्चित रूप से बुनियादी ढांचे और जीवन के गंभीर नुकसान से जुड़े होते हैं। महासागर में, ये भूगर्भीय घटनाएँ सुनामी को ट्रिगर करती हैं। हालांकि, प्लेट के अंदरूनी हिस्से में होने वाले छोटे भूकंपों की भविष्यवाणी करना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि वे कम से कम अपेक्षित स्थानों पर होते हैं और घनी आबादी वाले आवासों को प्रभावित कर सकते हैं।
यही कारण है कि साइंटिफिक डीप ड्रिलिंग पृथ्वी विज्ञान में प्रगति के लिए एक अनिवार्य उपकरण है। अमेरिका, रूस और जर्मनी जैसे देशों ने 1990 के दशक में इस तरह की वैज्ञानिक परियोजनाएँ संचालित कीं। हाल ही में, 2023 में, चीन में अपना खुद का एक डीप-ड्रिलिंग मिशन शुरू किया है।