केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत को BBNJ समझौते पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत को राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैव विविधता (Biodiversity Beyond National Jurisdiction: BBNJ) समझौते पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी है।
यह निर्णय राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों में समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और सस्टेनेबल उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अक्सर ‘खुला समुद्र’ या “हाई सी” के रूप में कहे जाने वाले “राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्र” ग्लोबल कॉमन महासागर हैं अर्थात इन पर किसी का अधिकार नहीं है और पूरे विश्व की साझी सम्पदा है। ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैध उद्देश्यों जैसे नेविगेशन, ओवरफ़्लाइट, सबमरीन केबल और पाइपलाइन बिछाने आदि के लिए सभी के लिए खुले हैं।
भारत का पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय देश में BBNJ समझौते के कार्यान्वयन का नेतृत्व करेगा।
BBNJ समझौता के बारे में
BBNJ समझौता, या ‘खुलासमुद्र संधि’, (High Seas Treaty) समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के तहत एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
BBNJ समझौते पर मार्च 2023 में सहमति बनी थी और यह सितंबर 2023 से शुरू होकर दो साल के लिए हस्ताक्षर के लिए खुला है।
60वें अनुसमर्थन, स्वीकृति, मंजूरी के 120 दिन बाद लागू होने के बाद यह कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतरराष्ट्रीय संधि होगी।
जून 2024 तक, 91 देशों ने BBNJ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, और आठ पक्षों ने इसका अनुसमर्थन किया है।
इसका उद्देश्य खुला समुद्र में समुद्री जैव विविधता के दीर्घकालिक संरक्षण पर बढ़ती चिंताओं को दूर करना है।
यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय के माध्यम से समुद्री जैव विविधता के सतत उपयोग के लिए सटीक तंत्र निर्धारित करता है।
समझौता के पक्षकार देश हाई-सी से प्राप्त समुद्री संसाधनों पर संप्रभु अधिकारों का दावा या प्रयोग नहीं कर सकते हैं और लाभों का निष्पक्ष और न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित कर सकते हैं।
BBNJ समझौता UNCLOS के तहत तीसरा कार्यान्वयन समझौता है। दो अन्य समझौते हैं: 1994 भाग XI कार्यान्वयन समझौता और 1995 संयुक्त राष्ट्र फिश स्टॉक समझौता।
UNCLOS के बारे में
UNCLOS को 10 दिसंबर, 1982 को अपनाया गया था और यह 16 नवंबर, 1994 को लागू हुआ।
यह समुद्र के पर्यावरण संरक्षण और समुद्री सीमाओं, समुद्री संसाधनों के अधिकारों और विवाद समाधान के लिए महत्वपूर्ण है।
यह राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे महासागर तल पर खनन और संबंधित गतिविधियों को विनियमित करने के लिए इंटरनेशनल सी बेड अथॉरिटी की स्थापना करता है।
आज तक, 160 से अधिक देशों ने UNCLOS की पुष्टि की है। यह दुनिया के महासागरों के उपयोग में व्यवस्था, समानता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।