कोयला मंत्रालय ने झारखंड में भूमिगत कोयला गैसीकरण के लिए भारत की पहली पायलट परियोजना शुरू की

ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) ने झारखंड के जामताड़ा जिले के कास्ता कोल ब्लॉक में भूमिगत कोयला गैसीकरण (Underground Coal Gasification: UCG) के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है।

यह झारखंड में भूमिगत कोयला गैसीकरण के लिए भारत की पहली पायलट परियोजना है।

इस परियोजना का उद्देश्य कोयला उद्योग में क्रांति लाना है, इसके लिए इन-सीटू (खदान के पास) कोल गैसीकरण का उपयोग करके इसे मीथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी मूल्यवान गैसों में परिवर्तित करना है।

इन गैसों का उपयोग सिंथेटिक प्राकृतिक गैस, ईंधन, उर्वरक, विस्फोटक और अन्य औद्योगिक गतिविधियों के लिए रासायनिक फीडस्टॉक्स के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।

भूमिगत कोयला गैसीकरण प्रक्रिया से उन कोयला संसाधनों का भी उपयोग किया जा सकता है जिन्हें पारंपरिक खनन तकनीकों से उपयोग करना लाभकारी नहीं है।

बता दें कि दिसंबर, 2015 में, कोयला मंत्रालय ने कोयला और लिग्नाइट युक्त क्षेत्रों में भूमिगत कोयला गैसीकरण के लिए एक व्यापक पॉलिसी फ्रेमवर्क को मंजूरी दी।

भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक 100 मिलियन टन (MT) कोयला गैसीकरण करना है, जिसमें 4 ट्रिलियन रुपये से अधिक का निवेश होगा।

भारत में गैसीकरण तकनीक को अपनाने से कोयला क्षेत्र में क्रांति आएगी, जिससे प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य आवश्यक उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम होगी।

कोयला गैसीकरण के माध्यम से अमोनिया का उत्पादन किया जा सकता है क्योंकि चीन अपने 90% से अधिक अमोनिया का उत्पादन कोयला गैसीकरण के माध्यम से करता है। गैसीकरण तकनीक के माध्यम से कोयले से मेथनॉल का उत्पादन किया जा सकता है।

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