अग्निबाण सब ऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर (SOrTeD)
अग्निकुल कॉसमॉस प्राइवेट लिमिटेड ने 30 मई, 2024 को श्रीहरिकोटा से सिंगल पीस 3डी-प्रिंटेड इंजन संचालित दुनिया का पहला रॉकेट “अग्निबाण सब ऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर (SOrTeD)” लॉन्च किया। अग्निबाण SOrTeD को अग्निकुल द्वारा स्थापित ‘धनुष’ नामक लॉन्चपैड से लॉन्च किया गया।
इस तरह यह किसी प्राइवेट लॉन्च पेड से लॉन्च होने वाला भारत का पहला प्रक्षेपण है।
यह भारत का पहला सेमी-क्रायोजेनिक इंजन-संचालित रॉकेट लॉन्च और दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी-प्रिंटेड इंजन भी है जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य परीक्षण उड़ान के रूप में काम करना, इन-हाउस और घरेलू तकनीकों का प्रदर्शन करना, महत्वपूर्ण उड़ान डेटा एकत्र करना और अग्निकुल के कक्षीय प्रक्षेपण यान यानी ‘अग्निबाण’ के लिए प्रणालियों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है।
अग्निकुल कॉसमॉस आईआईटी-मद्रास इनक्यूबेटेड स्टार्टअप है। इसे श्रीनाथ रविचंद्रन, मोइन एसपीएम और सत्य चक्रवर्ती ने 2017 में स्थापित किया था।
अग्निकुल कॉसमॉस देश की पहली कंपनी बन गई जिसने दिसंबर 2020 में अग्निबाण बनाने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी की विशेषज्ञता और इसकी सुविधाओं तक पहुँच प्राप्त करने के लिए IN-SPACe पहल के तहत ISRO के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
सेमी क्रायोजेनिक इंजन
क्रायोजेनिक इंजन लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सीजन के प्रोपल्शन युग्म का उपयोग करता जिन्हें तरलीकृत किया गया होता है और इन्हें बहुत कम तापमान पर भंडारित किया जाता है।
क्रायोजेनिक इंजन/क्रायोजेनिक चरण स्पेस लांच वेह्किल का अंतिम चरण है जो गैस के बजाय तरल पदार्थ के रूप में अपने फ्यूल (तरल हाइड्रोजन) और ऑक्सीडाइज़र (तरल ऑक्सीजन) को भंडारित करने के लिए क्रायोजेनिक्स का उपयोग करता है। दूसरी ओर, सेमी-क्रायो सिस्टम में परिष्कृत केरोसिन (इसरो द्वारा ISROSENE नाम दिया गया रॉकेट-ग्रेड संस्करण) और तरल ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है।
इसे भविष्य की अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों जैसे कि न्यू जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) को भारी-भरकम क्षमता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करने का लाभ यह है कि इसके लिए प्रोसेस्ड केरोसिन की आवश्यकता होती है, जो लिक्विड फ्यूल से हल्का होता है और इसे सामान्य तापमान पर स्टोर किया जा सकता है।