77वें कान फिल्म फेस्टिवल: पायल कपाड़िया की “ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट” ने जीता ग्रैंड प्रिक्स अवार्ड
77वें कान फिल्म फेस्टिवल (फ्रांस) के विजेताओं की घोषणा 25 मई को की गई।
पाल्मे डी’ओर
77वें कान फिल्म फेस्टिवल (फ्रांस) के विजेताओं की घोषणा 25 मई को की गई। जेसी पेलेमन्स ने काइंड्स ऑफ काइंडनेस के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता।
पाम डी’ओर
फेस्टिवल का सबसे बड़ा पुरस्कार – पाम डी’ओर – सीन बेकर की फिल्म एनोरा को दिया गया, जो एक सेक्स वर्कर की दुखद कहानी है।
बता दें कि कोई भी फिल्म पाम डी’ओर के अलावा कोई अन्य पुरस्कार नहीं जीत सकती, जैसे कि सर्वश्रेष्ठ अभिनेता या सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए, क्योंकि इसे सभी श्रेणियों में सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है।
पाम डी’ओर आधिकारिक प्रतियोगिता की सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के निर्देशक को दिया जाता है।
बता दें कि पाल्मे डी’ओर जीतने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म – जिसे उस समय ग्रैंड प्रिक्स डु फेस्टिवल इंटरनेशनल डु फिल्म के नाम से जाना जाता था – चेतन आनंद की नीचा नगर (1946) है।
मृणाल सेन के घरेलू नौकर ड्रामा खारिज ने 1983 में जूरी पुरस्कार जीता था।
ग्रैंड प्रिक्स
भारत की पायल कपाड़िया की “ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट” ने 25 मई को कान फिल्म फेस्टिवल में दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार ग्रैंड प्रिक्स जीता।
यह फिल्म, समकालीन मुंबई में रहने वाली दो केरल नर्सों की कहानी है। पिछले 30 वर्षों में कान फिल्म समारोह में मुख्य प्रतियोगिता श्रेणी में भाग लेने वाली यह पहली भारतीय फिल्म थी।
इस फिल्म में भारतीय कलाकार कनी कुसरुति, दिव्या प्रभा और छाया कदम हैं।
ला सिनेफ़ सेक्शन
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के छात्र चिदानंद एस नाइक ने ‘सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो’ को ला सिनेफ का प्रथम पुरस्कार मिला।
मैसूर के डॉक्टर से फिल्म निर्माता बने इस अभिनेता ने यह फिल्म पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के टेलीविजन विंग में अपने एक साल के कौर्स के दौरान बनाई थी।
यह फिल्म कन्नड़ लोककथा पर आधारित 15 मिनट की लघु फिल्म है। भारत में जन्मी मानसी माहेश्वरी की एनिमेटेड फिल्म ‘बनीहुड’ को तीसरा पुरस्कार मिला।
पियरे एंजनीक्स ट्रिब्यूट पुरस्कार
सिनेमैटोग्राफर संतोष सिवन अपने “करियर और कार्य की असाधारण गुणवत्ता” के लिए पियरे एंजनीक्स ट्रिब्यूट अवार्ड से सम्मानित होने वाले पहले एशियाई बन गए।
अन सर्टेन रिगार्ड कैटेगरी
भारतीय अभिनेत्री अनसूया सेनगुप्ता को कान फ़िल्म समारोह की अन-सर्टेन रिगार्ड श्रेणी में बुल्गारियाई निर्देशक कोन्सटेंटिन बोजानोव की फ़िल्म ‘द शेमलेस’ के लिए अनसर्टेन कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला है।
अनसूया सेनगुप्ता अन सर्टन रिगार्ड श्रेणी में ‘द शेमलेस’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।
अन सर्टेन रिगार्ड (जिसका अर्थ है ‘एक निश्चित नज़र’) फेस्टिवल के आधिकारिक चयन का एक भाग है। इसकी अपनी जूरी है और इसका उद्देश्य युवा प्रतिभाओं को पुरस्कृत करना और “अभिनव और साहसी कार्यों को प्रोत्साहित करना” है।