बौद्धिक संपदा, आनुवंशिक संसाधनों और संबद्ध पारंपरिक ज्ञान पर संधि
बौद्धिक संपदा, आनुवंशिक संसाधनों और संबद्ध पारंपरिक ज्ञान पर संधि (Treaty on Intellectual Property, Genetic Resources and Associated Traditional Knowledge) को 13 मई से 24 मई, 2024 के बीच विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के तत्वावधान में जिनेवा स्थित मुख्यालय में आयोजित डिप्लोमेटिक कांफ्रेंस में अपनाया गया।
यह WIPO के तहत हस्ताक्षरित 10 वर्षों में पहली संधि है।
यह संधि अनिवार्य करती है कि, जहां पेटेंट आवेदन में आनुवंशिक संसाधन यानी जेनेटिक रिसोर्सेज शामिल हों, आवेदक को मूल देश या स्रोत का खुलासा करना होगा।
इसी तरह यदि पेटेंट आवदेन में आनुवंशिक संसाधनों से जुड़ा पारंपरिक ज्ञान शामिल है, तो आवेदक को यह ज्ञान प्रदान करने वाले स्वदेशी लोगों या स्थानीय समुदाय का खुलासा करना होगा।
यह संधि भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के पास वैश्विक जैव विविधता का 7-8 प्रतिशत और इन आनुवंशिक संसाधनों पर आधारित ज्ञान का समृद्ध भंडार है।
15 पक्षकारों द्वारा इसकी पुष्टि के बाद यह संधि लागू हो जाएगी। सम्मेलन में अपनाने के बाद इस संधि को हस्ताक्षर के लिए खोला गया। हालाँकि डिप्लोमेटिक कांफ्रेंस में के अंत में संधि पर हस्ताक्षर करने से कोई देश इसके प्रावधानों से बंधे रहने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है।