सी-एनीमोन ब्लीचिंग

लक्षद्वीप समूह के सी-एनीमोन (sea anemones) पर शोध कर रहे ICAR-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज (NBFGR) के वैज्ञानिकों ने अगाती द्वीप पर एनीमोन में बड़े पैमाने पर ब्लीच करते हुए पाया है।

समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान सी-एनीमोन और उनके सहजीवी शैवाल के बीच नाजुक संतुलन को बाधित करता है। इससे सी-एनीमोन (sea anemones) के भीतर रहे रहे शैवाल बाहर निकल आते है, जिससे सी-एनीमोनका रंग सफेद हो जाता है।

लक्षद्वीप में कोरल ब्लीचिंग कोई नई घटना नहीं है, लेकिन इस द्वीप समूह में सी-एनीमोन ब्लीचिंग पहली बार दर्ज की गई है और यह स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य के लिए चिंता का कारण है।

ब्लीचिंग से सी-एनीमोन पर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है और इससे वे मृत भी हो सकते हैं। सहजीवी शैवाल की हानि सी-एनीमोन को उनके प्राथमिक ऊर्जा स्रोत से वंचित कर देती है, जिससे उनका दीर्घकालिक अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।

बता दें कि सी-एनीमोन एक जलीय जीव है जो कोमल शरीर होने के बावजूद अपनी डंक मारने की क्षमता के लिए जाना जाता है।

वे कोरल (मूंगे) और लाइव रॉक के करीबी सहयोगी हैं।

कोरल, एनीमोन और जेलीफिश संबंधित हैं और सभी को फ़ाइलम निडारिया या “स्टिन्गिंग नीडल्स” के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वे सभी महासागरों के ज्वारीय क्षेत्र से लेकर 10,000 मीटर से अधिक की गहराई तक पाए जाते हैं। सी एनीमोन में कोई ठोस कंकाल नहीं होता है।

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