सह्याद्री टाइगर रिजर्व में बाघों को फिर से बसाने की कवायद
महाराष्ट्र वन विभाग सह्याद्री टाइगर रिजर्व (Sahyadri Tiger Reserve) में बाघों को फिर से बसाने के लिए जल्द ही ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व से बाघों को सह्याद्रि टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित करेगा।
सह्याद्री टाइगर रिजर्व देश के केवल पांच ऐसे टाइगर रिजर्व हैं जिनमें कोई बाघ मौजूद नहीं है। अन्य चार रिजर्व हैं; तेलंगाना में कवल, अरुणाचल प्रदेश में कमलांग, मिजोरम में दम्पा और ओडिशा में सतकोसिया।
सह्याद्री टाइगर रिजर्व उत्तरी पश्चिमी घाट में स्थित है। इसकी स्थापना जनवरी 2010 में हुई थी और यह पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सतारा, सांगली और रत्नागिरी जिलों में फैला हुआ है।
इसमें चंदोली राष्ट्रीय उद्यान और कोयना वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
गौरतलब है कि भारत में पहले भी बाघ को एक रिजर्व से दूसरे रिजर्व में ट्रांसफर करने के प्रयास हुए हैं। कुछ में सफलता हाथ लगी तो कुछ ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट असफल रही।
2008 में सरिस्का टाइगर रिजर्व और 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व में ट्रांसलोकेशन योजना सफल रही। इसके विपरीत ओडिशा में सतकोसिया टाइगर रिजर्व के मामले योजना विफल रही हैं और ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं। सतकोसिया देश की पहली अंतरराज्यीय ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट थी।