सुखना वन्यजीव अभयारण्य के लिए इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) अधिसूचना का मसौदा

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सुखना वन्यजीव अभयारण्य (Sukhna Wildlife Sanctuary) के हरियाणा साइड वाले क्षेत्र के लिए इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) घोषित करने हेतु अधिसूचना का मसौदा जारी किया है।

इसमें हरियाणा की ओर सुखना वन्यजीव अभयारण्य के आसपास 1 किमी से 2.035 किमी तक के क्षेत्र को ESZ. के रूप में सीमांकित किया गया है।

सुखना वन्यजीव अभयारण्य केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासनिक नियंत्रण में है और इसकी सीमाएँ हरियाणा और पंजाब से लगती हैं। यह 25.98 वर्ग किमी (लगभग 6420 एकड़) में फैला हुआ है।

यह अभयारण्य शिवालिक तलहटी में स्थित है, जिसे पारिस्थितिक रूप से नाजुक और भूवैज्ञानिक रूप से अस्थिर क्षेत्र माना जाता है।

सुखना वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची 1 में शामिल कम से कम सात वन्यजीव प्रजातियों का हैबिटेट है, जिनमें तेंदुआ, भारतीय पैंगोलिन, सांभर, गोल्डन जैकल, किंग कोबरा, अजगर और मॉनिटर छिपकली शामिल हैं।  

संरक्षित क्षेत्रों में जैव विविधता का प्रबंधन और संरक्षण करने के लिए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 6 और 25 के तहत संरक्षित क्षेत्रों के आसपास पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों (Eco-Sensitive Zones: ESZs) को अधिसूचित करता है।

वन्यजीव संरक्षण रणनीति के हिस्से के रूप में, वर्ष 2002 में, यह निर्णय लिया गया कि संरक्षित क्षेत्रों के आसपास अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में एक बफर जोन बनाने के लिए प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र के आसपास के एक क्षेत्र को इको-सेंसिटिव जोन के रूप में अधिसूचित करने की आवश्यकता है।

संरक्षित क्षेत्रों के आसपास अधिसूचित पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र ( ESZ) में परियोजनाएं/गतिविधियां संबंधित ESZ अधिसूचना द्वारा विनियमित और शासित होती हैं।

शीर्ष अदालत ने 2022 में संरक्षित क्षेत्रों के आसपास के न्यूनतम 1 किमी के क्षेत्र को ESZ घोषित करने का निर्णय दिया था। बाद में शीर्ष अदालत इसमें संशोधन करते हुए प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र के लिय अलग-अलग ESZ क्षेत्र घोषित करने का निर्णय दिया।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षित क्षेत्रों में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध के अपने फैसले को बरकरार रखा।

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