भारत ने विसेरल लीशमनियासिस ‘कालाजार’ के उन्मूलन का लक्ष्य हासिल किया
नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (NCVBDC) के डेटा के मुताबिक, भारत ने विसेरल लीशमनियासिस (Visceral Leishmaniasis), जिसे आमतौर पर कालाजार (Kala-azar) के नाम से जाना जाता है, के उन्मूलन का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है।
भारत ने शुरुआत में 2010 तक कालाजार के उन्मूलन का लक्ष्य रखा था, लेकिन लगातार चुनौतियों के कारण इस लक्ष्य को 2023 तक बढ़ा दिया गया था।
बता दें कि कालाजार, सैंडफ्लाई के काटने से फैलने वाले प्रोटोजोआ परजीवियों के कारण होने वाली एक वेक्टर-जनित बीमारी है। यह दशकों से एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है, खासकर बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में।
NCVBDC के नवीनतम डेटा से संकेत मिलता है कि भारत ने 2023 में पूरे भारत में कालाजार के केवल 520 मामले दर्ज किए, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित उन्मूलन मानदंडों को पूरा करते हैं।
WHO के मानदंड के अनुसार कालाजार उन्मूलन के लिए देश में किसी भी ब्लॉक में प्रति 10,000 लोगों में कालाजार के एक से अधिक मामले नहीं होने चाहिए।
WHO के अनुसार, 2020 में कालाजार के वैश्विक बोझ का 18 प्रतिशत हिस्सा भारत पर था।
भारत में सरकारी प्रयासों के बाद कालाजार उन्मूलन में सफलता हासिल हुई है। प्रमुख सरकारी उपायों में शामिल हैं: सैंडफ्लाई प्रजनन स्थलों को कम करने के उद्देश्य से कठोर इनडोर अवशिष्ट छिड़काव प्रयास; मिट्टी की दीवारों में दरारें सील करने के लिए एक विशेष मिट्टी का प्रयोग, जिससे सैंडफ्लाई को नेस्ट बनाने से रोका जा सके; और पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमनियासिस (PKDL) रोगियों के लिए उपचार पूरा करना सुनिश्चित करने के लिए मिल्टेफोसीन के 12-सप्ताह के कोर्स देने हेतु आशा नेटवर्क की मदद लेना।