नेपाल की संसद ने बिम्सटेक चार्टर को मंजूरी दी
नेपाल की संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने “बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (BIMSTEC) के चार्टर को मंजूरी दे दी है।
बिम्सटेक चार्टर को इसके देशों की संसद द्वारा अप्रूवल के बाद ही लागू किया जा सकता है। नेपाल के अलावा, बिम्सटेक के अन्य छह सदस्य देशों ने अपनी-अपनी संसदों से बिम्सटेक चार्टर का पहले ही अप्रूवल समर्थन प्राप्त कर लिया है।
बिम्सटेक
बिम्सटेक एक बहुपक्षीय क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में तटीय और निकटवर्ती देशों के बीच साझा विकास और सहयोग में तेजी लाने के उद्देश्य से की गई है।
आर्थिक समृद्धि, सामाजिक प्रगति, वैज्ञानिक उपलब्धि, शांति, स्थिरता और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए 1997 में बिम्सटेक का गठन किया गया था।
बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड बिम्सटेक के सदस्य हैं।
दरअसल इसकी स्थापना BIST-EC के रूप में जून 1997 में बैंकॉक घोषणा को अपनाने के साथ की गई थी, जिसमें बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड सदस्य थे। 1997 के अंत में म्यांमार के इसमें शामिल होने के साथ यह BIMST-EC (बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) बन गया।
2004 में नेपाल और भूटान इसका सदस्य बना तब इसे “बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (BIMSTEC)” नाम दिया गया।
बिम्सटेक सार्क या आसियान जैसे अन्य क्षेत्रीय समूहों से अलग इसलिए है क्योंकि यह एक सेक्टर-संचालित संगठन है। इसका मतलब है कि सहयोग के लक्ष्य या सेक्टर सदस्यों के बीच विभाजित हैं, उदाहरण के लिए, व्यापार, ऊर्जा, परिवहन, फिशरीज, सुरक्षा, संस्कृति, पर्यटन जैसे कई सेक्टर्स में से, भारत को परिवहन, पर्यटन, आतंकवाद-रोधी पहले जैसे सेक्टर्स की जिम्मेदारी दी गयी है। ।