केंद्र सरकार ने सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 को संशोधित
केंद्र सरकार ने सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 ( Surrogacy (Regulation) Rules, 2022) को संशोधित किया है और अधिसूचित किया है कि यदि विवाहित दंपति में से पति या पत्नी संतान को जन्म देने में चिकित्सीय रूप से असमर्थ है तब इन्हें सरोगेसी के लिए दोनों युग्मजों/ गैमीट (स्पर्म और एग्स) को इन्हीं दंपति से होना जरुरी नहीं है।
नवीनतम संशोधन के अनुसार, दंपत्ति सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पैदा कर सकते हैं, लेकिन ऐसे बच्चे के जन्म के लिए इच्छुक दंपत्ति का कम से कम एक युग्मज (या तो पति का स्पर्म अथवा पत्नी के एग्स) होना चाहिए। इसका तात्पर्य यह है कि यदि पति और पत्नी दोनों, संतान पैदा करने में असमर्थ हैं तो वह सरोगेसी का विकल्प नहीं चुन सकता है।
इसके अलावा, सरोगेसी से संतान की इच्छा वाली सिंगल महिलाओं (विधवा या तलाकशुदा) को सरोगेसी प्रक्रियाओं का लाभ उठाने के लिए खुद के अंडाणु (self-eggs) और डोनर के शुक्राणु (donor sperm) का उपयोग करना होगा।
नवीनतम संशोधन सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह पूछे जाने के बाद आया है कि केंद्र इस मामले पर निर्णय क्यों नहीं ले रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब पहले के नियमों में संशोधन किया है जिसमें कहा गया था कि सरोगेसी से गुजरने वाले कपल के पास इन्टेन्डेड कपल (जो सरोगेसी से संतान चाहते हैं) से दोनों युग्मज होने चाहिए।
सरोगेसी कानून के नियम 7 को 14 मार्च, 2023 को संशोधित किया गया था ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि डोनर एग्स का उपयोग इच्छुक जोड़े की गर्भकालीन सरोगेसी के लिए नहीं किया जा सकता है। इसे अब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक अधिसूचना द्वारा संशोधित किया गया है।
जिला मेडिकल बोर्ड यह प्रमाणित कर सकता है कि इच्छुक कपल में से कोई भी पति या पत्नी ऐसी बीमारी से पीड़ित है जिसकी वजह से वह खुद से संतान को जन्म देने में असमर्थ है, तब शर्त के अधीन डोनर गैमीट का उपयोग करके सरोगेसी की अनुमति दी जाती है। केंद्र ने मार्च 2023 में सरोगेसी कराने के इच्छुक जोड़ों के लिए डोनर गैमीट पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की थी।
सरोगेसी प्रक्रिया
सरोगेसी वह प्रक्रिया है जिसमें एक महिला किसी और के लिए भ्रूण धारण करने और बच्चे को जन्म देने के लिए सहमत हो जाती है, इस शर्त पर कि वह जन्मे संतान को उस इच्छुक दम्पति को सौंप देगी।
सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 केवल विवाहित बांझ दंपति (infertile couples) और कुछ श्रेणियों की महिलाओं (सिंगल और अविवाहित) को ही सरोगेसी का लाभ उठाने की अनुमति है।
सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम के तहत केवल परोपकारी कारणों (altruistic) से सरोगेसी की अनुमति है, जबकि 2015 से देश में वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
एक बार जब बच्चा पैदा हो जाता है, तो इसे सभी उद्देश्यों के लिए दंपति का बायोलॉजिकल बच्चा माना जाएगा।
सरोगेसी से माँ-बाप बनाने के इच्छुक कपल को सरोगेसी के लिए ‘पात्र’ माना जाता है यदि उनकी शादी को पांच साल हो गए हों, पत्नी की उम्र 25-50 साल के बीच हो और पति की उम्र 26-55 साल के बीच हो। दंपत्ति के पास कोई जीवित बच्चा (बायोलॉजिकल, गोद लिया हुआ या सरोगेट) नहीं होना चाहिए।
गर्भ धारण करने वाली सरोगेट मां को इच्छुक कपल की करीबी रिश्तेदार होना चाहिए, वह विवाहित महिला हो जिसका अपना एक बच्चा हो, जिसकी उम्र 25-35 वर्ष के बीच हो। वह अपने जीवन में केवल एक बार सरोगेट माँ बन सकती है।