गुलज़ार और रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जायेगा

प्रसिद्ध उर्दू कवि गुलज़ार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार (2023 के लिए) दिया जायेगा।

संपूर्ण सिंह कालरा, जिन्हें गुलज़ार (Gulzar) के नाम से जाना जाता है, हिंदी सिनेमा में अपने उत्कृष्ट गीत लिखने के लिए जाने जाते हैं और इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक माने जाते हैं।

उन्होंने छह दशक से अधिक लंबे करियर में अनगिनत फिल्मों के लिए कविताएं और गीत लिखे हैं।

उन्हें इससे पहले दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार आदि मिल चुके हैं।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Rambhadracharya) चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं और एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता, शिक्षक और 240 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों के लेखक हैं।

रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के चार जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं और 1982 से इस पद पर हैं।

वह 22 भाषाएं बोलते हैं।

ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Award) साहू शांति प्रसाद जैन द्वारा 1944 में स्थापित भारतीय ज्ञानपीठ संगठन द्वारा प्रदान किया जाता है।

प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में की गई थी, और यह भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है।

ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को 11 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रशस्ति पट्टिका और देवी सरस्वती की एक कांस्य प्रतिकृति दी जाती है।

मलयालम लेखक जी.एस. कुरुप इस पुरस्कार (1965) के पहले प्राप्तकर्ता थे। कोंकणी लेखक दामोदर मौजो ने 57वां ज्ञानपीठ पुरस्कार जीता था।

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